केंद्रीय चुनाव आयोग इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान बहुत सख़्ती बरतने वाला है। ईवीएम में गड़बड़ी के विपक्ष के आरोपों के चलते उसने इस बार हर मतदान केंद्र पर वीवीपैट उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। साथ ही कई छोटे राज्यों में पहली बार मतदान एक से ज्यादा चरणों में कराने का फैसला किया है।मजे की बात है कि पिछले सप्ताह ही सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम को लेकर चल रहे मामले में एक संयुक्त हलफ़नामा देकर आग्रह किया था कि इस बार कम से कम 50 प्रतिशत वोटिंग मशीनों में वीवीपैट (वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल किया जाए। यह शपथपत्र आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की पहल पर दाखिल किया गया। इस पर 22 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं।जनवरी के पहले सप्ताह में तमिलनाडु काडर के पूर्व आईएएस एमएस देवसहायम, पूर्व राजनयिक केपी फैबियन और पूर्व बैंकर टीएफ राजेंद्र देव ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कम से कम तीस प्रतिशत ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीनों को लगाए जाने की मांग की थी। उनका कहना था कि यह करने से ईवीएम की कार्यकुशलता पर लग रहे सवालो पर विराम लग जाएगा। विपक्षी दलों ने इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत वीवीपैट की मांग की है।
लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट मशीनें उपलब्ध कराने की घोषणा कर विपक्ष के आरोपों की हवा निकाल दी। क्या हर ईवीएम के साथ वीवीपैट लगाई जाएगी और क्या हर ईवीएम और वीवीपैट की गणना का मिलान कराया जाएगा? मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है और चुनाव आयोग ने इस मामले पर एक कमेटी बना दी है, उसकी रिपोर्ट आने पर ही इन विषयों पर फैसला होगा।
इससे पहले शनिवार को आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से सैनिकों और सैन्य उपकरणों को चुनाव सामग्री में इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाया था। सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ नेताओं ने देश भर में कई स्थानों पर पुलवामा और एयर स्ट्राइक का राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे पोस्टर लगवा किए थे जिन पर विंग कमांडर अभिनंदन, लड़ाकू हवाई जहाज़ों या सैनिकों की तस्वीरें छपी थीं। दिल्ली राज्य भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी सैनिकों की वर्दी पहन कर चुनाव प्रचार करते नज़र आए थे। इन घटनाओं की विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी।
छोटे राज्यों में कई चरणों में चुनाव
चुनाव आयोग ने इस बार कई छोटे राज्यों में सख़्ती बरतते हुए एक से ज्यादा चरणों में मतदान कराने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान जैसे राज्यो में अधिकतर एक ही चरण में चुनाव होते रहे हैं। लेकिन इस बार उड़ीसा और मध्य प्रदेश में चार चरणों में मतदान होगा जबकि असम और छत्तीसगढ में तीन चरणों में। यही नहीं, दो-दो लोकसभा सीटों वाले त्रिपुरा और मणिपुर में चुनाव दो चरणों में होंगे - हर चरण में एक सीट। यही हाल जम्मू कश्मीर का है। यानी संवेदनशील राज्यों में चुनाव आयोग गड़बड़ी होने ही नहीं देना चाहता है।
चुनाव आयोग हुआ सख्त, हर मतदान केंद्र पर होगी वीवीपैट