सोशल मीडिया ने देश की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाई है। लोकसभा चुनाव 2014 में पहली बार देश की राजनीति में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका देखी गई। साथ ही पिछले पांच साल में देश में कई बड़े तकनीकी बदलाव आये हैं। देश में मोबाइल और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या भी बड़ी तेजी से बढ़ी है।
'स्टेटिस्टा' और 'द स्टेटिस्टिक्स' पोर्टल की रिपोर्ट
दुनियाभर में बदलते ट्रैंड, तकनीक, अर्थव्यवस्था, रोजगार, शिक्षा आदि पर सर्वे और तथ्यपरक आंकड़े देने वाली पोर्टल 'स्टेटिस्टा' और 'द स्टेटिस्टिक्स' पोर्टल पर एक रिपोर्ट में ये आंकड़े पेश किये गए हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहेगा। देश में पिछले पांच साल में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 35 करोड़ को पार कर गई है। 2014 में ये 10 करोड़ ही थी। एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान वाले मुद्दे के बाद लोगों में पीएम नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है। अब ये एक बड़ा प्रश्न है कि 35 करोड़ इंटरनेट यूजर्स में से पीएम नरेन्द्र मोदी को कितने यूजर्स वोट देंगे?
2014 तक देश की कुल आबादी का 20 फीसदी हिस्सा इंटरनेट सेवी
देश में पिछले लोकसभा चुनावों तक, यानी वर्ष 2014 तक भी इंटरनेट का प्रयोग करने वाले लोग कुल आबादी के 20 फीसदी के बराबर भी नहीं थे। सोशल नेटवर्क से तो दस फीसदी लोग भी नहीं जुड़े हुए थे। इसके बावजूद भाजपा और कांग्रेस सहित कई बड़े राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वोटर को प्रभावित करने में बड़ी ताकत झोंकी थी।
स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग से मिला मंच
इसमें खास तौर से भाजपा को बड़ी कामयाबी मिली। पिछले पांच सालों में सोशल मीडिया की खुद की ताकत भी जबर्दस्त तरीके से बढ़ गई है। स्मार्ट मोबाइल फोन का उपयोग बढ़ने के कारण इसका कैनवास बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पार्टियों के लिए यह और भी बड़ा मंच हो गया है।
पांच साल में दोगुने हुए इंटरनेट यूजर्स
आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2018 तक इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले दोगुना से ज्यादा, जबकि सोशल नेटवर्क का उपयोग करने वाले तीन गुना से ज्यादा बढ़ गए। वहीं स्मार्ट फोन यूजर भी दोगुना से अधिक हो गए।
शहरी क्षेत्रों में 94 फीसदी तक इंटरनेट उपभोक्ता
इस साल के शुरुआती चार महीनों में, यानी लोकसभा चुनावों तक यह संख्या निश्चित रूप से बढ़नी ही है। एक सर्वे के अनुसार शहरी क्षेत्रों में औसतन 94 फीसदी लोग अपने मोबाइल फोन से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण इलाकों में भी यह संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में वोट हासिल करने के लिए स्मार्ट फोन सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है। इस लिहाज से इस बार लोकसभा के लिए अब तक का 'सबसे बड़ा डिजिटल चुनाव' भी होगा।
43 हजार गांवों में मोबाइल सेवा नहीं
संचार मंत्री मनोज सिन्हा की ओर से पिछले साल लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार जुलाई 2018 तक देश के कुल 5,97,618 गांवों (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी वाले गांव) में से 43,088 गांव मोबाइल सेवा से जुड़े हुए नहीं थे। सिन्हा ने बताया था कि देश की करीब 88 फीसदी आबादी को 3जी और 4जी सुविधा उपलब्ध थी।
2014 में 10 करोड़, 2019 में 35 करोड़ सोशल यूजर्स
वर्ष संख्या (अनुमानित)
2014 10,60,00,000
2018 32,61,00,000
2019 35,14,00,000
पांच साल में 22 लाख से ज्यादा फेसबुक यूजर्स
वर्ष संख्या (अनुमानित)
2014 9,20,00,000
2018 28,10,00,000
2019 31,36,00,000
(सभी आंकड़े 'स्टेटिस्टा', द स्टेटिस्टिक्स पोर्टल)