बिहार एनडीए में यह तो पहले ही तय हो चुका था कि भागलपुर सीट भाजपा के खाते से जदयू के खाते में जाएगी, लेकिन शाहनवाज हुसैन को ऐसे दरकिनार कर दिया जाना भागलपुर के भाजपा समर्थक और कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय जनता के लिए भी चौंका देने वाला निर्णय है। अपने समकक्ष मुख्तार अब्बास नकवी की तरह पार्टी का सॉफ्ट अल्पसंख्यक चेहरा और साफ छवि होने के बावजूद शाहनवाज इस लोकसभा 2019 के महासंग्राम से सीधे तौर पर बाहर हैं। मजबूत दावेदारी के बावजूद उनकी उम्मीदवारी पक्की नहीं हो सकी।
एनडीए की सूची जारी होने से पहले तक एक चर्चा यह भी थी कि शाहनवाज को वापस सीमांचल भेजा जा सकता है। वह अल्पसंख्यक बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र किशनगंज या अररिया से उम्मीदवार हो सकते थे। इस बीच उड़ती-उड़ती उनके चुनाव न लड़ने की भी खबर आई और उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को झटका लगा। स्थानीय खबरों के अनुसार, पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच रोष भी है और आक्रोश भी, लेकिन अधिकारिक तौर पर नेता ऐसा स्वीकार नहीं कर रहे।
भागलपुर भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि शाहनवाज जी के प्रदर्शन के आधार पर कार्यकर्ताओं ने उम्मीद लगा रखी थी, निश्चिंत भी थे, लेकिन जो स्थितियां बनी, उसके लिए तैयार नहीं थे। इन्हीं कारणों से उनकी नाराजगी जाहिर है। अब, हमारी मेहनत थोड़ी बढ़ गई है। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है और इसके लिए एनडीए उम्मीदवार को जिताना है। उन्होंने कहा कि खुद शाहनवाज हुसैन भी स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे हैं।