पाकिस्तान में दो हिंदू लड़कियों का अपहरण, भारतीय उच्चायोग से सुषमा ने मांगी रिपोर्ट

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सिंध प्रांत में होली की पूर्व संध्या पर दो हिंदू नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर जबरन उन्हें इस्लाम स्वीकार करवाने की खबरों को लेकर पाकिस्तान में भारत के दूत से जानकारी मांगी है। स्वराज ने इस घटना के संबंध में मीडिया की रिपोर्ट संलग्न करते हुए ट्वीट किया कि उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त से इस मामले पर रिपोर्ट भेजने को कहा है।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह घटना सिंध प्रांत के घोटकी जिले के धारकी कस्बे में हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाके में हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किए और कथित अपराध को अंजाम देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। भारत पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय की दुर्दशा का मामला उठाता रहा हैइस मामले पर भारत द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने रविवार को यह जानकारी दी।  13 वर्षीय रवीना एवं 15 वर्षीय रीना को होली की पूर्व संध्या पर सिंध के घोटकी जिले में उनके घर से कुछ 'दबंग' पुरुषों ने कथित तौर पर अगवा कर लिया था।

अपहरण के कुछ समय बाद ही एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक मौलवी दोनों लड़कियों का निकाह कराते हुए कथित तौर पर दिख रहा है। वहीं एक अन्य वीडियो में दोनों नाबालिगों को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने अपनी इच्छा से इस्लाम कुबूल किया है।

सूचना मंत्री चौधरी ने रविवार को उर्दू में ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री ने सिंध के मुख्यमंत्री से उन खबरों की जांच के लिए कहा है जिनमें उक्त लड़कियों को पंजाब के रहीम यार खान ले जाने की बात कही गई है। 

साथ ही चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सिंध एवं पंजाब सरकारों को घटना के संबंध में एक संयुक्त कार्य योजना बनाने और ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए मजबूत कदम उठाने को कहा है। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हमारे झंडे का सफेद रंग हैं और हमारे झंडे के सारे रंग हमारे लिए कीमती हैं। हमारे झंडे का संरक्षण हमारा कर्तव्य है।'

घटना को लेकर कराची के पाकिस्तान हिंदू सेवा वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष संजेश धंजा ने बताया था कि दो बहनों- 13 साल की रवीना और 15 साल की रीना का कथित तौर पर अपहरण करके शादी के बाद उन्हें इस्लाम कबूल करवा दिया गया। पाकिस्तान ट्रस्ट के मुखिया ने आरोप लगाया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के सड़क पर उतरने के बाद भी पुलिस ने केवल एक एफआईआर दर्ज की।


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