कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर प्रति परिवार को 12 हजार रुपये देने का वादा किया है। उन्होंने इस योजना को न्याय (न्यूमतम आय योजना) नाम दिया है। उनकी इस घोषणा पर काफी चर्चा हो रही है। भाजपा ने इस योजना को झूठा बताया है और कहा है कि उन्हें मालूम है कि वह सरकार में नहीं आएंगे इसलिए ऐसा वादा कर रहे है। अब इस मसले पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की प्रतिक्रिया आई है।पनगढ़िया का कहना है कि यदि आप 5 करोड़ परिवारों को प्रति वर्ष 72,000 रुपये दे रहे हैं तो 3.6 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह केंद्र सरकार के कुल बजट का 13 प्रतिशत हिस्सा है। किसी ने भी यह विवरण नहीं दिया है कि वह कैसे इस योजना को लागू करने के लिए 3.6 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम करेंगे। यह हमारे रक्षा बजट से भी ज्यादा है। राजकोषीय स्थिति हमेशा तंग रही है। ऐसे में बजट का 13 प्रतिशत लेना लगभग असंभव है।
राहुल गांधी ने 25 मार्च को कहा था कि उनकी पार्टी अगर लोकसभा चुनावों के बाद सत्ता में आई तो 20 फीसदी गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये देगी। जिस परिवार की आमदनी 12 हजार रुपये महीना से कम है, उनके खाते में सालाना 72 हजार रुपये भेजे जाएंगे।
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस गरीबों को न्याय देगी। 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों को, कांग्रेस सरकार हर साल 72 हजार रूपये देगी। जिस परिवार की आय 12 हजार से कम है, उसे इस योजना का फायदा मिलेगा। धीरे-धीरे हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल करेंगे।
गांधी ने कहा था कि गरीबी दूर करने के लिए कांग्रेस मनरेगा लाई थी, अब हम न्यूनतम आमदनी की गारंटी देने वाले हैं। मनरेगा के जरिए देश की 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। हम देश से गरीबी खत्म करना चाहते हैं।
नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन पनगढ़िया ने कांग्रेस के 'न्याय' को बताया असंभव, पूछा- कैसे देंगे पैसा