लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार 2017 में अपने गठन के बाद अपने पहले बड़े फेरबदल की तैयारी में हैं। योगी सरकार में 46 सदस्य हैं, और इस तरह 14 रिक्तियां खाली हैं। उप्र के चार मंत्री लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, और वे यदि जीतते हैं तो रिक्तियों की संख्या 18 हो जाएगी। लोकसभा चुनाव लड़ रहे मंत्रियों में महिला कल्याण और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी (इलाहाबाद), खादी ग्रामोद्योग, लघु उद्योग, हथकरघा मंत्री सत्यदेव पचौरी (कानपुर), पशुधन मंत्री एस.पी. सिंह बघेल (आगरा) और सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा (अंबेडकरनगर) शामिल हैं।
यदि ये मंत्री चुनाव हार गए तो भी इनकी छुट्टी हो सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का भविष्य भी इस चुनाव से तय होगा। अगर वह चंदौली से जीत जाते हैं तो उनका कद बढ़ा सकता है। हार उनके लिए भी खतरा बन सकती है।
बहरहाल, मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, "पहले चुनाव खत्म हो जाने दीजिए।"
सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों से संबंधित संसदीय क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन फेरबदल में एक बड़ा मुद्दा होगा।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, "जिन संसदीय क्षेत्रों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होगा, वहां के मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। मुख्यमंत्री नियमित तौर पर मंत्रियों के उनके विभागों में प्रदर्शन का आंकलन कर रहे हैं और यह एक दूसरा कारक होगा।"
पदाधिकारी ने कहा, "समाज के उन वर्गो को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है, जो अभी तक उपेक्षित रहे हैं।" क्योंकि पार्टी को 2022 के चुनाव की तैयारी करनी है।
सरकार ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। योगी सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी के बाद उनकी जगह अनिल राजभर को पदोन्नति दी गई है।
भाजपा ने घोसी से सांसद हरि नारायण राजभर को इस बार फिर से टिकट दिया है। बलिया निवासी संघ कार्यकर्ता सकलदीप राजभर को पार्टी ने राज्यसभा भेजा था।
पार्टी पदाधिकारी ने कहा, "हम इस बात को मानकर चल रहे हैं कि सपा-बसपा-रालोद गठबंधन 2022 तक बना रहेगा और कांग्रेस भी तबतक राज्य में खुद को मजबूत कर लेगी। इसलिए भाजपा को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी दोगुनी ताकत लगानी होगी।"
सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार और पार्टी में बेहतर समन्वयन पर भी काम किया जाएगा। पार्टी नेताओं ने अक्सर सरकार के साथ समन्वय की कमी की शिकायत की है।
योगी सरकार नौकरशाही में भी बड़ा फेरबदल करना चाहेगी, जिसमें आईएएस और आईपीएस दोनों काडर शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ पूरी व्यवस्था को अधिक संवेदनशील और जवाबदेह बनाना चाहते हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रेमशंकर मिश्रा कहते हैं, "यह चुनाव मुख्यमंत्री योगी की बड़ी परीक्षा है। इसके परिणाम उनका सियासी कद तय करेंगे। अनुकूल परिणाम उनके राजनीतिक भविष्य के लिए ठीक होगा। प्रतिकूल परिणाम आने पर उनकी नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठेंगे।"