पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए भारतीय हवाई हमले की एक गोपनीय जानकारी अब सामने आई है। भारतीय सेना के विश्वसनीय सूत्र ने बताया है कि बालाकोट पर किए हवाई हमले का कोड नाम 'ऑपरेशन बंदर' दिया गया था। सेना के इस ऑपरेशन का मतलब साफ था कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए। सेना का मानना है कि इस ऑपरेशन 'बंदर' का नाम हमारे पौराणिक कथाओं के एतिहासिक महत्व पर आधारित है। रामायण की एतिहासिक लड़ाई में बंदरों का स्थान महत्वपूर्ण था, जिसके आधार पर भगवान राम की बानर फौज ने लंका नष्ट की थी।भारतीय वायुसेना भी इसी तर्ज पर अपने मिशन को अंजाम देने निकली और दुश्मनों के लगभग 80 फीसदी ठिकाने नष्ट कर दिए। सेना द्वारा यह एक सफल ऑपरेशन रहा, जिसमें 15 मिराज 2000 बालाकोट पर बम बरसाकर लौटे। यह हवाई हमला इसी साल 26 फरवरी को किया गया था, जो आतंकियों की बार-बार की गई दहशतगर्ती का जवाब था। सेना ने एलान किया है कि इस ऑपरेशन में शामिल सभी सदस्यों को बहादुरी का पुरस्कार दिया जाएगा।
बता दें 14 फरवरी को पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) पर आत्मघाती हमला हुआ था। जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। जिसके बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश के ठिकाने पर हवाई हमला किया था।
इससे पहले वायुसेना ने एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान उस समय हाईअलर्ट पर था, लेकिन बावाजूद इसके बालाकोट एयरस्ट्राइक को पूरा किया गया। इस ऑपरेशन को पूरा करने के लिए 6 हजार लोगों ने काम किया।
ये बात "द लेसन लर्न्ट" फ्रॉम द ऑपरेशन नामक रिपोर्ट में कही गई है। इसमें ये भी कहा है कि छह में से पांच लक्ष्यों पर निशाना साधा गया था। इस रिपोर्ट में ऑपरेशन के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं का विस्तृत मूल्यांकन किया गया है। ताकि भविष्य में अगर कोई ऑपरेशन का संचालन किया जाए, तो इससे मदद मिल सके। इस हमले के बाद काफी चर्चा और बहस भी हुईं।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा कि मूल्यांकन में पता चला है कि ऑपरेशन से पहले जो योजना बनाई जाती है असल में हूबहू वैसा नहीं हो पाता। लेकिन हम इस ऑपरेशन को अपने बैकअप प्लान से पूरा कर पाए हैं। मूल्यांकन में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक बातें सामने आई हैं।
बालाकोट एयर स्ट्राइक को वायुसेना ने नाम दिया था 'ऑपरेशन बंदर'