देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का आईना तथा चुनौतियों को रेखांकित करने वाली आर्थिक समीक्षा/सर्वे में कहा गया कि स्थिर वृहद आर्थिक दशाओं की वजह से इस साल अर्थव्यवस्था में स्थिरता रहेगी. यह भी कहा गया है कि अगर ग्रोथ में कमी आई तो राजस्व संग्रह पर चोट पड़ सकती है. गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में पेश कर दिया है. राज्यसभा के बाद इसे लोकसभा में भी पेश कर दिया गया है. इसमें कहा गया कि वर्ष 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को आठ फीसदी की वृद्धि दर बरकरार रखनी होगी. वित्तवर्ष 2019 के दौरान सामान्य वित्तीय घाटा 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि वित्तवर्ष 2018 के दौरान 6.4 फीसदी था. आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19: वर्ष 2019-20 के दौरान तेल की कीमतों में गिरावट की भी संभावना है. कृषि क्षेत्र में धीमापन से ग्रोथ पर दबाव के साथ खाद्य उत्पाद कीमतें गिरने से उत्पादन में कमी के आसार हैं.
विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार बना रहेगा. इसके अनुसार, 14 जून तक विदेशी मुद्रा भंडार 42220 करोड रुपया रहा है. इससे पहले बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को हर हाल में संसद में उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे. आर्थिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार की है और इसमें दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते में देश के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित किये जाने की संभावना है.
सर्वे के अनुसार पिछले पांच साल में जीडीपी ग्रोथ औसतन 7.5 फीसदी रहा है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में कमी आने की वजह से पूंजीगत व्यय चक्र को बढ़ाने में मदद मिलेगी. लगातार एनपीए में कमी आ रही है, जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा.
आर्थिक सर्वे में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कमी आ रही है, जिसकी वजह से इस वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है.
हालांकि, सर्वे कुछ चुनौतियां भी सामने रखता है. जैसे कि वित्तीय घाटे के मोर्चे पर 2019-20 में कुछ चुनौतियां हो सकती हैं. जिस तरह का प्रचंड बहुमत सरकार को देश की जनता ने दिया है, उसकी वजह से अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की कई चुनौतियां हैं.