इस समय देश और पूरी दुनिया में भारत में तेजी से घटती हुई गरीबी और तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक असमानता से संबंधित दो रिपोर्ट गंभीरतापूर्वक पढ़ी जा रही हैं। विगत 12 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट 2019 जारी की है। इसके मुताबिक इन 101 देशों में 130 करोड़ गरीब रहते हैं। भारत ने 2006-2016 के बीच दस विकासशील देशों के समूह में सबसे तेजी से गरीबी कम की है। इन दस सालों में देश के 27.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।
इंडेक्स के आठ पैमानों के आधार पर गरीबी की रेटिंग की गई है, जिनमें पोषण की कमी, शिशु मृत्यु दर में कमी, रसोई गैस में कमी, स्वच्छता में कमी, पीने का पानी कम होना, बिजली की कमी, घरों की कमी तथा संपत्तियों का अभाव शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के कुल गरीबों में से करीब आधे गरीब यानी 19.6 करोड़ गरीब लोग देश के चार राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रहते हैं।
दूसरी ओर ऑक्सफैम इंडिया की आर्थिक असमानता रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि भारत में 1991 के बाद शुरू हुए उदारीकरण के बाद आर्थिक असमानता और अधिक भयावह होती जा रही है। वर्ष 2017 में भारत में अरबपतियों की कुल संपत्ति देश की जीडीपी की 15 फीसदी के बराबर हो गई। जबकि पांच वर्ष पहले यह दस फीसदी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व के सबसे अधिक आर्थिक असमानता वाले देशों में से एक है।