मंत्रिमंडल से बाहर का भी रास्ता देखना पड़ सकता है

भाजपा हाईकमान ने अब योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्रिमंमडल फेरबदल की अटकलों पर विराम लगाने का मन बना लिया है। सब कुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक चला तो यह काम विधानसभा उपचुनाव के पहले ही पूरा हो जाने के आसार हैं।


वैसे तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 28 जुलाई को लखनऊ में हो रहे दूसरे शिलान्यास समारोह में आ रहे हैं, लेकिन वह इस दौरान यहां मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में भी कोर कमेटी के लोगों से बातचीत करने वाले हैं। इसी के बाद तस्वीर साफ होगी कि मंत्रिमंडल विस्तार होगा या कुछ समय के लिए और टल सकता है।


सूत्रों के अनुसार, दो दौर की बातचीत पिछले दिनों दिल्ली में हो चुकी है। मंत्रिमंडल में किसका कद घटेगा और किसका बढ़ेगा, इस बारे में भी नेतृत्व ने निश्चय कर लिया है।


कुछ चेहरों को मंत्रिमंडल से बाहर का भी रास्ता देखना पड़ सकता है, कुछ नए चेहरे भी शामिल किए जाएंगे। मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल की चर्चाएं हैं। शाह यहां विचार-विमर्श करके यह भी तय करेंगे कि इस काम को करना कब ठीक रहेगा।
यह है फेरबदल की वजह
प्रदेश में मंत्रियों की संख्या 60 हो सकती है। योगी सरकार ने मार्च 2017 में जब शपथ ली थी तो 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल था। इनमें तीन मंत्रियों सत्यदेव पचौरी, डॉ. एसपी सिंह बघेल और डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने सांसद चुने जाने के कारण त्यागपत्र दे दिया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जा चुका है। 


इस प्रकार 4 मंत्री कम हो गए हैं। मंत्रिमंडल में शामिल स्वतंत्र देव सिंह को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल चुकी है। सिंह भी जल्द ही मंत्रिमंडल छोड़ देंगे। ऐसी स्थिति में मंत्रिमंडल में 42 सदस्य रह जाएंगे। संघ, पार्टी नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी भी कुछ और लोगों को शामिल करने के साथ कुछ को तरक्की देना चाहते हैं। 


बताया जा रहा है कि फेरबदल में कम से कम दो ब्राह्मण, दो ठाकुर, तीन पिछड़ी जाति और दो अनुसूचित जाति के चेहरे जरूर शामिल किए जाएंगे। किसी गुर्जर नेता को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की प्रबल संभावनाएं हैं।


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