- रेलवे का लक्ष्य: तीन साल में हर ट्रैक पर दौड़ेगी ट्रेन-18
- 40 ट्रेन-18 का निर्माण करना है तीन साल में आईसीएफ को
- 10 ट्रेन 2019-20 में बनाकर दे देनी है रेलवे बोर्ड को
- 15 ट्रेन 2020-21 व 15 ट्रेन 2021-22 में होंगी निर्मित
- पक्षपात के आरोपों के बाद थम गया था तीसरी ट्रेन-18 का निर्माण
- पारदर्शिता के लिए रेलवे लागू करने जा रहा है नया टेंडर सिस्टम
वंदे भारत एक्सप्रेस के नाम से मशहूर ट्रेन-18 का उत्पादन अब फिर से गति पकड़ेगा। इस ट्रेन के निर्माण का ठेका छोड़ने में पारदर्शिता नहीं होने के आरोपों के बाद तीसरी ट्रेन-18 का निर्माण बीच में ही रोक दिया गया था लेकिन रेलवे ने मंगलवार को कहा कि वह सभी बोलीदाताओं को समान मौके देने और पारदर्शिता तय करने के लिए नया टेंडर सिस्टम लागू कर रहा है। मालूम हो कि भारतीय रेलवे आने वाले तीन साल के अंदर हरेक रूट पर ट्रेन-18 दौड़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बता दें कि पहली ट्रेन-18 के निर्माण के टेंडर सिस्टम में भेदभाव के आरोप सामने आए थे। इन आरोपों के चलते चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने तीसरी ट्रेन-18 के निर्माण के लिए जारी सभी टेंडरों को खारिज कर दिया था। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि अब तीसरी ट्रेन-18 का निर्माण नए टेंडर सिस्टम के जरिए पूरा कराया जाएगा।
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि नए टेंडर सिस्टम में वेंडरों को आवेदन देने को लेकर तीन महीने का समय मिलेगा, जबकि अभी यह तीन सप्ताह है। इसमें उत्पादन इकाइयों के लिए रेलवे के तकनीकी सलाहकार रिसर्च डिजाइन एंड स्टैन्डर्ड ऑर्गनाइजेशन के मानदंडों का पालन करना अनिवार्य किया गया है। यह नियम पहली ट्रेन-18 के निर्माण के समय लागू नहीं था।
बता दें कि पहली ट्रेन-18 के निर्माण के टेंडर सिस्टम में भेदभाव के आरोप सामने आए थे। इन आरोपों के चलते चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने तीसरी ट्रेन-18 के निर्माण के लिए जारी सभी टेंडरों को खारिज कर दिया था। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि अब तीसरी ट्रेन-18 का निर्माण नए टेंडर सिस्टम के जरिए पूरा कराया जाएगा।
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि नए टेंडर सिस्टम में वेंडरों को आवेदन देने को लेकर तीन महीने का समय मिलेगा, जबकि अभी यह तीन सप्ताह है। इसमें उत्पादन इकाइयों के लिए रेलवे के तकनीकी सलाहकार रिसर्च डिजाइन एंड स्टैन्डर्ड ऑर्गनाइजेशन के मानदंडों का पालन करना अनिवार्य किया गया है। यह नियम पहली ट्रेन-18 के निर्माण के समय लागू नहीं था।