उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी के युवा नेता की गोली मारकर हत्या, योगी सरकार पर जमकर बरसे अखिलेश यादव एक वरिष्ठ मुस्लिम सपा नेता ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से मुस्लिमों का प्रेम स्थायी नहीं हो सकता, क्योंकि भाजपा से कई बार समझौता कर चुकी मायावती का कोई भरोसा नहीं है. अल्पसंख्यकों के लिए समाजवादी पार्टी ने बहुत काम किया है. इसीलिए यहां मुस्लिमों का स्थायित्व और लगाव दोनों है. सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, 'सपा में मुस्लिम पदाधिकारी बहुत पहले से हैं. वे लगातार हमसे जुड़ रहे हैं. कोई कहीं और नहीं जा रहा है. सपा हमेशा से अल्पसंख्यकों की हितैषी रही है.'

1 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव : अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच अहम बैठक, जेपी नड्डा भी हुए शामिल


 


 


राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह ने बताया कि बसपा मुखिया मायावती ने जिस तरह लोकसभा में ज्यादा सीटें जीती हैं, मायावती की रणनीति है दलित और मुस्लिम को एकत्रित किया जाए. मुस्लिमों को लगता है कि अखिलेश के साथ जुड़ने से सिर्फ यादव वोट बैंक के साथ जुड़ते थे. अगर मायावती के साथ जुड़ेंगे तो दलित और मुस्लिम का अच्छा गठजोड़ होगा. उससे अखिलेश का मुस्लिम वोट बैंक प्रभावित होगा. अखिलेश के सामने बसपा से मुस्लिम वोट बचाए रखने की चुनौती है. अखिलेश के पास मुस्लिम की कोई बड़ी आवाज भी नहीं बची है. आजम हैं भी तो वह अपने ढंग से काम करते हैं.


राजकुमार ने बताया कि अखिलेश को उपचुनाव में अच्छी लड़ाई लड़नी है तो मुस्लिम वोट को बचाना होगा. पिछड़ा वोट बैंक उनसे पूरा खिसक गया है. मुस्लिमों का मानना है कि जो भाजपा को हराएगा, उसी ओर वह अपना रुख करेंगे.


उपचुनाव से ठीक पहले बड़े मुश्किल में फंस सकते हैं अखिलेश यादव और मायावती, जानें- पूरा मामला


मायावती की आवाज मायने रखती है, क्योंकि वह जोर-जोर से बोल रही हैं कि अखिलेश दलितों को भी अपने साथ नहीं रख पाए और मुस्लिमों को भी नहीं संभाल पाए. ऐसे में सपा के साथ जाना बेकार है. लिहाजा, अब अखिलेश के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, जिनसे उन्हें निपटना होगा.


एक अन्य विश्लेषक रतनमणि लाल ने बताया कि गठबंधन में सपा के जो मुस्लिम में जीते हैं दोनों पार्टियां एक दूसरे का श्रेय लेने में लगे हैं. अब मुस्लिम किसकी वजह से गठबंधन में गए, इसकी होड़ में मायावती ने श्रेय ले लिया. अखिलेश देर से आए. अब वह अपने को मुस्लिम हितैषी बताने में जुटे हैं. यह बसपा के मुस्लिम को जोड़ने का फालोअप है. लेकिन अभी सपा के लिए बहुत देर हो गई है. अखिलेश को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी.


कहां गायब हैं अखिलेश यादव? तीन हफ्तों में सिर्फ तीन बार संसद आए, सपा दफ्तर में भी सन्नाटा


उन्होंने बताया कि मुस्लिमों को लगता है कि सपा को साथ लेकर चलने की हिम्मत मुलायम और आजम की थी. मुलायम निष्क्रिय हो गए हैं. आजम अब दिल्ली की राजनीति कर रहे हैं. इसीलिए अखिलेश यह भांप गए थे. इसीलिए उन्होंने विष्णु मंदिर बनाने की बात या अन्य मंदिरों में जाना शुरू किया था. यह मुस्लिमों को नगवार गुजरी है, इसीलिए वह अपना रुख बसपा की ओर कर सकते हैं.


बसपा के एक मुस्लिम कार्यकर्ता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि "सपा का यादव वोटबैंक भी अब डगमगाता दिख रहा है. यादव बिरादरी के अन्य दलों में गए कई पुराने नेता भी सपा में वापसी के बजाय बसपा को ही पसंद कर रहे है. ऐसे में मुसलमानों को 2022 तक सपा से जोड़ने रखना आसान नहीं होगा." 


उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी के युवा नेता की गोली मारकर हत्या, योगी सरकार पर जमकर बरसे अखिलेश यादव


एक वरिष्ठ मुस्लिम सपा नेता ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से मुस्लिमों का प्रेम स्थायी नहीं हो सकता, क्योंकि भाजपा से कई बार समझौता कर चुकी मायावती का कोई भरोसा नहीं है. अल्पसंख्यकों के लिए समाजवादी पार्टी ने बहुत काम किया है. इसीलिए यहां मुस्लिमों का स्थायित्व और लगाव दोनों है.


सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, 'सपा में मुस्लिम पदाधिकारी बहुत पहले से हैं. वे लगातार हमसे जुड़ रहे हैं. कोई कहीं और नहीं जा रहा है. सपा हमेशा से अल्पसंख्यकों की हितैषी रही है.'


टिप्पणियाँ
Popular posts
परमपिता परमेश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दें, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें व समस्त परिजनों व समाज को इस दुख की घड़ी में उनका वियोग सहने की शक्ति प्रदान करें-व्यापारी सुरक्षा फोरम
चित्र
सभी देशवासियों को नवरात्रि दशहरा व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं- मोहनलाल अग्रवाल
चित्र
पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर और आम ये पांच तरह के पेड़ धार्मिक रूप से बेहद महत्व
चित्र
मुख्यमंत्री योगी ने लेखपाल, राजस्व निरीक्षक और नायब तहसीलदार के खाली पदों को तत्काल भरने का द‍िया न‍िर्देश
चित्र
मंगेश यादव एनकाउंटर : अखिलेश यादव ने कहा, पुलिस विभाग साजिश करने में जुटा
चित्र