एनएमसी को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल चुकी है।
ये चिकित्सा के क्षेत्र का एक बड़ा रिफार्म है।
मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया भ्रस्टाचार के कारण अपनी ड्यूटी नही कर रहा है।
जितनी जिम्मेदारी उसे दी गयी है उसे वो पूरी नही कर रहा है।
एमएमसी में 33 मेंबर है। जिसमें 29 डॉक्टर है।
10 लोग वीसी ऑफ मेडिकल कॉलेज है, और 9 स्टेट मेडिकल बोर्ड से है।
4 साल बाद भी उन्हें अपनी संपत्ति की घोषणा करनी होती है।
यही नही इस बोर्ड से हटने के बाद 2 साल तक वो किसी भी कॉलेज या दूसरे संस्थान से नही जुड़ सकते।
- इस कानून में हर काम के लिए एक अलग बोर्ड बनाया गया है।
- इसमें कॉलेज को रेटिंग देने का प्रावधान बनाया गया है। जिससे माता पिता पता लगा सकते है।
- एक लाइव रजिस्टर बनाया गया है, जिसमें डाटा को ठीक तरह से रखा जा सकता है।
- इसमें मेडिकल असेसमेंट ओर रेटिंग बोर्ड में कुछ अन्य में बाहर के लोगो को रखा गया है। जिससे प्रदर्शित ओर खुलापन आ सके।
- किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए एक ही एग्जाम देना होगा। जिससे स्टूडेट को परेशनी न हो।
- नेक्स्ट- फाइनल ईयर के एग्जाम को कॉमन कर दिया है। उसी एग्जाम के रिजल्ट पर उसे पीजी के लिए भी दाखिला ले सकता है।
- अगर किसी कॉलेज का मैकेनिज्म ठीक नही होता है तो ओर उसका असर उसके रिजल्ट पर पड़ता है तो उसके लिए उस इंस्टीटूट को भी पनिशमेंट का प्रावधान है।
- 6 महीने में एनएमसी बोर्ड गठित कर देगे। सरकार ने इसके लिए 9 महीने का समय मांगा है।
- देश में 80 हज़ार सीट है। जिसमें 40 हज़ार सरकारी कॉलेज है। बचे हुए आधे के आधे यानी 20 हज़ार को केंद्र सरकार रेगुलेट करेंगे।
- अब कोई कॉलेज होगा वो डीम्ड हो या प्राइवेट सभी की फीस को केंद्र ही रेगुलेट करेगा।
किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए एक ही एग्जाम देना होगा