जन्म के पहले घंटे में माँ का दूध बच्चे के लिए अनिवार्य
अस्पतालों में जन्म पर बच्चे को माँ का दूध पिलाने के लिए
किया जा रहा है सेंसिटाइज
केजीएमयू में चल रही है ''मदर मिल्क बैंक'' बनाने की तैयारी
-अपर मिशन निदेशक, श्रुति
01 से 07 अगस्त तक मनाया जायेगा ''विश्व स्तनपान सप्ताह''
लखनऊ: दिनांक: 31 जुलाई, 2019
अपर मिशन निदेशक सुश्री श्रुति ने आज कहा कि जन्म के पहले घंटे के भीतर शिशु को माँ का दूध पिलाने से न केवल शिशु को गम्भीर बीमारियों का खतरा कम हो जाता है अपितु शिशु मृत्यु की सम्भावना भी 33 प्रतिशत कम हो जाती है। माँ का पहला दूध बच्चे के लिए वैक्सीन की तरह होता है जो बच्चे में गम्भीर रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है। अपर निदेशक श्रुति अगस्त के पहले सप्ताह में मनाए जा रहे 'विश्व स्तनपान सप्ताह' से पूर्व आज यहां राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन उ0प्र0 के विशाल काम्प्लेक्स स्थित सभाकक्ष में आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रही थीं। शिशुओं को माँ के दूध की आवश्यकता पर हो रही चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि अस्पतालों में होने वाले प्रसव उपरान्त माँ अपने बच्चे को दूध पिलाये इसके लिए अस्पताल के कर्मचारियों, आशाओं को भी विशेष निर्देश दिए गए है। इसी चर्चा में उन्होंने जानकारी दी कि के0जी0एम0यू0 में ''मदर मिल्क बैंक'' बनाने की तैयारी भी चल रही है।
कार्यशाला में उन्होंने बताया कि माँ का दूध शिशु के व्यापक विकास, मानसिक विकास, शिशु को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। विश्व भर में जन्म के एक घन्टे के भीतर 05 में से 03 नवजात शिशु स्तनपान से वंचित रहे जाते हैं। इन नवजात शिशुओं में मृत्यु का अधिक खतरा होता है एवं आगे भी इन शिशुओं में स्तनपान जारी रखने की सम्भावना कम रहती है।
अपर मिशन निदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा सामुदायिक एवं चिकित्सीय इकाई दोनो स्तरों पर स्तनपान के व्यवहार को बढ़ावा देने एवं नवजात शिशु मृत्युदर कम करने के उद्देश्य से ' चलाया जा रहा है।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए महाप्रबन्धक बाल स्वास्थ्य डा0 वेद प्रकाश ने कहा कि प्रदेश सरकार शिशुओं को जन्म के तुरन्त बाद स्तनपान शुरू कराने पर बल दे रही है। समस्त चिकित्सकों एवं स्टाफ नर्सो को इसके लिए सेंसिटाइज किया गया है कि चिकित्सालय में जन्में प्रत्येक नवजात शिशु सभी सामाजिक रूढ़ियां तोड़कर जन्म के 01 घण्टे के भीतर स्तनपान कराया जाये। उत्तर प्रदेश में केवल 25.2 प्रतिशत नवजात शिशुओं को जन्म के 01 घन्टे भीतर स्तनपान कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे 4ए 2015.16 के अनुसार (गोण्डा 13 प्रतिशत, मेरठ 14.3 प्रतिशत, बिजनौर 14.7 प्रतिशत, हाथरस 15.3 प्रतिशत, एवं सहारनपुर 15.8 प्रतिशत) प्रदेश में स्तनपान शुरू करने की प्रक्रिया में सवसे निम्न स्तर पर है। बुन्देलखण्ड के तीन जनपद महोबा 42.1 प्रतिशत, बांदा 41 प्रतिशत, एवं ललितपुर 40 प्रतिशत अन्य जनपदों की तुलना में बेहतर है।
जिन नवजात शिशुओं को जन्म के 01 घन्टे के भीतर स्तनपान कराया जाता है उनमें मृत्यु की सम्भावना कम होती है जन्म के बाद कुछ घन्टों की देरी या नवजात की जान के लिये खतरा बन सकती है। शिशु का माँता की त्वचा से सम्पर्क एवं स्तनपान माता में स्तनपान प्रक्रिया में दूध बनने की प्रक्रिया की बढाता है। प्रथम स्तनपान अथवा कोलोस्ट्रम जिसे प्रथम टीकाकरण भी कहते हैं, पोषण तत्वों से भरपूर होता है तथा शिशु की संक्रमण से रक्षा कराता है।
डा0 वेद प्रकाश, महाप्रबन्धक, बाल स्वास्थ्य द्वारा अवगत कराया गया कि स्तनपान केवल माता की ही जिम्मेदारी नहीं है। परिवार समुदाय, स्वास्थ्य कार्यकर्ता तथा नियोक्ता को एक साथ मिलकर इसमें सहयोग देने की आवश्यकता है। जिससे स्तनपान सप्ताह की इस वर्ष की विश्व थीम को केन्द्रित करते हुए इस पर अमल किया जा सके। इस विषय पर कार्यशाला में एक प्रजेन्टेशन प्रस्तुत कर शिशुओं को स्तनपान से लाभ एवं न कराने से हानियों पर विस्तार से जानकारी भी दी गई।
(यह जानकारी: सूचना अधिकारी -डा0 सीमा गुप्ता द्वारा प्रेस नोट के माध्यम से दी गई है।)