तीन तालाक कानून पर राष्ट्रपति की मुहर, प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक सामाजिक सुधार

नई दिल्ली। तीन तालाक कानून पर अब राष्ट्रपति की भी मुहर लग गई है। इस कदम को मोदी सरकार की एक बड़ी राजनीतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर बकायदा इसके एक-एक नियमों और उसकी सजा पर सामाजिक जागरुकता का सिलसिला चल पड़ा है। खाकर हर आयुवर्ग, हर जाति-धर्म की महिलाओं में इस कानून को लेकर खुशी पायी जा रही है।


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी के साथ ही देश में तीन तलाक कानून 19 सितबंर, 2018 से लागू हो गया. बता दें, मंगलवार को राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास हुआ था. इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.


इससे पहले राज्यसभा में तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया. प्रस्ताव के पक्ष में 84 और विपक्ष में 100 वोट पड़े थे. बिल का विरोध करने वाली कई पार्टियां वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट कर गई थीं. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है.


ये हैं प्रावधान तीन तलाक देने पर-


1. मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.


2. तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.


3. महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है.


4. एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.


5. मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.


6. तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.


7. तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी.


8. नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. हालांकि पत्नी के पहल पर ही समझौता हो सकता है लेकिन मजिस्ट्रेट की ओर से उचित शर्तों के साथ.



दो दिन पहले लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीन तलाक बिल पास हो गया था. बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े. उसके बाद इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा गया.


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