सावरकर को भारत रत्न की मांग : पोते को है उम्मीद, ठाकरे नहीं छोड़ेंगे हिंदुत्व विचारधारा

मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता के लिए कमाल के समीकरण देखने को मिल रहे हैं। भाजपा को सरकार से दूर रखने के लिए धुर-विरोधी पार्टियां शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) एक हो गई हैं। ये तीनों दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम (कॉमन मिनिमम प्रोग्राम) पर सहमति बनाने में लगे हुए हैं। इस बीच वीर सावरकर के पोते रणजीत ने शिवसेना के कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने पर अपनी राय जाहिर की है।


उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि शिवसेना हिंदुत्व पर कांग्रेस का रुख बदलेगी। सावरकर ने कहा कि जहां तक मैं उद्धवजी को जानता हूं, वे कभी भी अपनी हिंदुत्व विचारधारा को नहीं छोड़ेंगे और सत्ता के लिए वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। मुझे विश्वास है कि शिवसेना हिंदुत्व पर कांग्रेस का रुख बदलेगी।


आपको बता दें कि 24 अक्टूबर को सामने आए नतीजे में 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं, जो सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े को छू रही थीं। कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती थीं।


राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को केंद्र को एक रिपोर्ट भेजकर मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य में स्थिर सरकार के गठन को असंभव बताया था, जिसके बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। राकांपा नेता शरद पवार ने शुक्रवार को घोषणा की कि शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस की साझा सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी और विकासोन्मुखी शासन देगी।


उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार के दौरान वीर सावरकर का मुद्दा जमकर उछला था। बीजेपी और शिवसेना के नेता कहते थे कि वीर सावरकर का मुद्दा महाराष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। एनसीपी और कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि सावरकर को भारत रत्न मिले। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया था कि अगर वो दोबारा सरकार में चुनकर आते हैं तो सावरकर के नाम की सिफारिश भारत रत्न के लिए करेंगे।


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