समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार गन्ना किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। चीनी मिल मालिक मनमानी कर रहे हैं। किसानों का बकाया भुगतान नहीं कर रहे हैं। 14 दिन में भुगतान न होने पर ब्याज भी देने का नियम होने के बावजूद किसानों को फूटी कौड़ी नहीं मिल रही है। भाजपा सरकार किसान विरोधी है। मुख्यमंत्री जी सिर्फ चेतावनी देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। लगता है सरकार की साख लोकभवन तक ही सीमित होकर रह गई है।
स्थिति यह है कि किसान को अपना गन्ना तौलाने के लिए कई-कई दिन लाइन में लगना पड़ता है जबकि बिचैलिया-माफिया अपना गन्ना तौलाकर आराम से चला जाता है। किसानों को कई मिलों ने बकाया नहीं दिया है तो भी अपनी फसल बेचने के लिए उन्हें मजबूरन मिल गेट पर आना पड़ता है। एक महीना पेराई सत्र शुरू हुए हो गया किसान अब भी परेशान हैं। मिलों के पास कुंतलों चीनी जमा होने के बाद भी हालत यह है कि बकाया न मिलने से गन्ना किसान के बच्चों की न तो फीस जमा हो पा रही है और नहीं शादी ब्याह की व्यवस्था हो पा रही है। फसल उगाने में उसे अलग से कर्ज लेना पड़ता है।
भाजपा सरकार ने गन्ना किसानों का अभी तक समर्थन मूल्य भी नहीं घोषित किया है जबकि गन्ना एक ऐसा उत्पाद है जिसका मूल्य निर्धारण शासन स्तर पर होता है। केवल समाजवादी सरकार ने किसानों को गन्ना के निर्धारित मूल्य में 40 रूपया बढ़ाकर दिया था। आज तो भाजपा राज में पर्ची वितरण से लेकर बकाया भुगतान तक में ऊपर से नीचे तक खेल हो रहा है। गन्ना किसान को 450 रू0 का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने से भाजपा सरकार मुंह चुरा रही है।
आर्थिक कठिनाइयों से जूझते गन्ना किसान का धैर्य अब जवाब देने लगा है। कई जनपदों में किसानों ने अपना गन्ना जलाकर विरोध प्रदर्शन किया हैं। किसान आंदोलित है। भाजपा सरकार की कथनी-करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। उसके वादों की कलई खुल चुकी है। जनता जान गई है कि भाजपा के पास करने को कुछ नहीं है बस पिछली सरकार में जो काम हो चुके हैं उन पर अपना ठप्पा लगाकर ही वह अपने दिन काट रही हैं।