महात्मा बुद्ध जी का दर्शन सिर्फ आध्यात्म पर आधारित नहीं था, बल्कि व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से भी सम्बद्ध था। उन्होंने कहा कि वे मानव जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाये जाने पर विशेष ध्यान देते थे। सुख से उनका अभिप्राय केवल भौतिक संसाधनों की उपलब्धता से नहीं था। वे मानव जीवन के लिए न केवल सुख की सहज उपलब्धता चाहते थे, बल्कि समाज के सभी लोगों के लिये सुख की समान उपलब्धता की कामना करते थे।
राज्यपाल ने कहा कि बुद्ध सामाजिक समरसता एवं समानता पर जोर देते थे और अंधविश्वासों, रूढ़ियों तथा आडम्बरों से दूर रहने को कहते थे। उन्होंनेे कहा कि एक जनप्रतिनिधि का जनता की सेवा के साथ-साथ पुस्तक लेखन का कार्य अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि लेखक द्वय ने अपनी इस रचना को धरातल पर लाने के लिए बौद्ध धर्म का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है।
श्रम, सेवायोजन व समन्वय मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध मानवता के पुजारी थे, जिन्होंने मानव कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश उनके विशेष भ्रमण के क्षेत्र रहे हैं। आज भी बौद्ध धर्म को मानने वाले सैकड़ों अनुयायी बुद्ध के बताये हुए रास्ते पर चल रहे हैं।
इस अवसर पर महंत अग्ग महापण्डित भदंत श्री ज्ञानेश्वर जी एवं डा0 संघमित्रा मौर्य ने भी अपने विचार रखे। समारोह में भंते उपनंद थेरो तथा भंते नन्दरत्न थेरो सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।