निर्भया केस: दोषियों के बचने का अखिरी प्रयास भी नाकाम, फांसी कल सुबह


नई दिल्ली। दिल्ली के चर्चित निर्भया रेप केस मामले में दोषी मुकेश की देश के कानून को भटकाने का अंतिम प्रयास भी नाकाम रहा। फांसी पर लटकाये जाने से पहले उसने कानूनी तर्को के सारे हथकंडे अपनाये जो एक के बाद एक खरिज होते गये। गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, दोषी अपने सारे कानून उपचारों का इस्तेमाल कर चुका है। मालूम हो कि, उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फांसी पर रोक की मांग की थी। मुकेश ने अपनी अर्जी में मांग की थी कि फांसी से पहले उसे किसी भी कोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाजत दी जाए।


दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसके साथ निष्पक्ष न्याय नहीं हुआ। साथ ही कहा था कि घटना के वक्त वो दिल्ली में मौजूद नहीं था बल्कि राजस्थान में था। मुकेश ने अपनी याचिका में डीएनए और आयरन रॉड दोनों ही थ्योरी पर सवाल उठाए थे। साथ ही कहा था कि इस मामले के दस्तावेज, रिकॉर्ड और रिपोर्ट सीबीआई से जांच कराई जाए और कोर्ट उन्हें मंगायें।


सुप्रीम ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने केस की मेरिट पर सवाल उठाए हैं यानी अभियुक्तों की चिकित्सा स्थिति के बारे में सबूतों पर कोई विचार नहीं किया गया। उसने करोली से आरोपी की गिरफ्तारी का संदेह जताया है। याचिकाकर्ता द्वारा सभी अवसरों और अपील की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, इस अदालत में दायर आपराधिक अपील को लम्बे समय तक सुना गया।


आरोपी द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं पर विचार किया गया और अपील खारिज कर दी गई। अपील, पुनर्विचार और क्यूरेटिव याचिका खारिज की गईं। हमें अब इस जनहित याचिका के तहत मामले को दोबारा खोलने के लिए कोई आधार नहीं दिखता।


याद हो कि, बीती पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश सिंह -32, पवन गुप्ता -25, विनय शर्मा -26 और अक्षय कुमार सिंह -31 को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था। चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी। इस बीच निर्भया के दोषियों को कल फांसी दिये जाने की तैयारी की जा रही है।


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