अफसरों पर तो दोहरा जिम्मा, मंत्रियों की कोई जवाबदेही नहीं -कोरोना काल के बीच जिले में नोडल अफसरों की जा रही तैनाती -खुद सीएम व टीम-11 है मुस्तैद, जिले के प्रभारी मंत्री तक हैं मुक्त लखनऊ. सूबे में कोरोना संक्रमण का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार हर दिन कोविड-19 की रोकथाम के मद्देनजर जरूरी गाइडलाइंस में आमूल-चूल बदलाव कर रही है। खुद सूबे के मुखिया सीएम योगी अपने टीम-11 के साथ हर दिन गहन समीक्षा बैठक करते रहते हैं। इतना ही नहीं शासन से लेकर जनपदीय मुख्यालय व संबंधित इलाकों में प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भी सरकार के मंशानुरूप रातोंदिन काम में जुटी हुई है। लेकिन यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि इस वैश्विक महामारी के बीच योगी सरकार के ‘मंत्रीगण’ की भारी-भरकम टीम कहां है…कोरोना काल में इनकी जवाबदेही क्यों नहीं तय की जा रही है। प्रदेश में ही आमजन के बीच यह भी चर्चा जोरों पर है कि जब स्वयं प्रदेश सरकार के सर्वेसर्वा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिना रुके, बिना थमे कोरोना काल में अपने दायित्वों का निर्वहन करने में लगे हुए हैं तो…उन्हीं के मातहत रहने वाले कैबिनेट, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्रियों का लम्बा-चौड़ा दल-बल क्या कर रहा है। सोचने वाली बात है कि कोविड संक्रमण पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये एक तरफ जहां जिले में डीएम-कप्तान के अलावा अलग से बतौर नोडल अफसर एक आईएएस की तैनाती की गई है। यही नहीं अब तो योगी सरकार के नये फरमान के तहत हर जिले में कोविड काल के दौरान तैनात मौजूदा एसपी-एसएसपी पर शासन की ओर से नकेल कसने के मद्देनजर अलग से डीजी स्तर के सीनियर आईपीएस अफसर की तैनाती की जा रही। यानी प्रदेश के सरकारी सिस्टम को ऊपर से नीचे तक देखा जाये तो प्रदेश में कोरोना आपदा से निपटने की कड़ी में सीएम योगी, शासन के आला अफसरों की टीम-11 तथा आईएएस और आईपीएस और सम्बन्धित विभाग के कर्मचारी ही दिखते हैं…इस पूरे सिस्टम में कहीं पर भी जनता-जनार्दन द्वारा चुने गये वो कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं नजर आ रहे जो वर्तमान में किसी न किसी रूप में योगी सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। वहीं प्रशासनिक व्यवस्था से जुडेÞ जानकारों का इस मुद्दे पर कहना है कि जब सूबे के हर एक जनपद के लिये प्रभारी (नोडल) अफसरों की तैनाती की जा सकती है तो फिर प्रत्येक जिले के जो प्रभारी मंत्री हैं, उन्हें कोविड काल में अहम जिम्मा देने से क्यों परहेज किया जा रहा? ‘इससे तो यही प्रतीत हो रहा कि बीते तीन साल के कार्यकाल में मंत्रीगण प्रदेश सरकार का भरोसा नहीं जीत पाये। संभवत: इसीलिये कोरोना महामारी जैसी अति विकट परिस्थितियों के बीच सीएम ने खुद आगे बढ़कर मोर्चा संभाला और अपने प्रशासन पर कहीं अधिक विश्वास करना श्रेयस्कर समझा। हालांकि किसी भी सूबे की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये ऐसी स्थितियां भविष्य में कई प्रकार की समस्यायें खड़ी कर सकती हैं। सरकार-मंत्री व प्रशासन के बीच समन्वय होना जरूरी रहता है। |
अफसरों पर तो दोहरा जिम्मा, मंत्रियों की कोई जवाबदेही नहीं- संपादक प्रेम श्रीवास्तव