किसान संगठनों ने इसके लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि ये बलिदान बर्बाद नहीं जाएगा. संगठनों ने पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की मांग की है. ये संगठन कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली चलो मार्च के तहत दो दिवसीय प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन के बीच एक किसान की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है. इसके चलते किसानों का गुस्सा और बढ़ गया है.
‘दिल्ली चलो मार्च’ प्रदर्शन में शामिल हुए पंजाब के मानसा जिले के किसान धाना सिंह की हरियाणा के भिवानी में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) इस पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि उनका बलिदान बर्बाद नहीं जाएगा.
वहीं भारतीय किसान यूनियन ने आरोप लगाया है कि किसानों के मार्च को रोकने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा की गई नाकेबंदी के कारण ये घटना हुई है. इस दुर्घटना में दो और किसान घायल हो गए. प्रदर्शनकारी किसानों ने धाना सिंह के परिजनों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है.
वहीं दूसरी तरफ पंजाब, हरियाण, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से दिल्ली कूच कर रहे बड़ी संख्या में किसान इसके बॉर्डर के समीप पहुंच गए हैं. किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षाबलों की तैनाती कर रखी है, कंटीले तार लगाए गए हैं और वॉटर कैनन तथा टीयर गैस की व्यवस्था की गई है. इस तरह के इंतजाम दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर की गई है.
सरकार की कोशिश है कि किसान दिल्ली में न घुसने पाएं.
इससे पहले किसानों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश से गुजरने के दौरान बीते गुरुवार को भी प्रशासन की ज्यादतियों का सामना करना पड़ा, जहां पुलिस ने इस ठंड में किसानों पर पानी की बौछार की, आंसू गैस के गोले छोड़े, मार्ग में गड्ढा खोद दिया, उनकी गाड़ियों को अवरूद्ध करने के लिए रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर बिछा दिए गए और सीमाओं को कंटीले तारों से सील कर दिया गया.
इसके साथ ही कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया, ताकि उनका काफिला आगे न बढ़ सके. हालांकि किसानों ने इन सारे बैरियर को तोड़ते हुए दिल्ली पहुंचने के लिए प्रतिबद्धता जताई है. संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में कहा कि दिल्ली में करीब 50,000 किसान पहुंचेंगे और ये संख्या धीरे-धीरे बढ़ती ही जाएगी.
शुक्रवार सुबह जब दिल्ली-बहादुरगढ़ हाईवे के नजदीक टिकरी बॉर्डर पर किसान पहुंचे तो दिल्ली पुलिस ने वॉटर कैनन और टीयर गैस से उन्हें भगाने की कोशिश की. इसे लेकर सुरक्षाबलों और किसानों के बीच झड़प भी हुई.
इसके अलावा किसानों की आवाजाही को रोकने के दिल्ली मेट्रो ने ग्रीन लाइन पर ब्रिगेडियर होशियार सिंह, बहादुरगढ़ सिटी, पंडित श्री राम शर्मा, टिकरी बॉर्डर, टिकरी कलां और घेवर मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए हैं.
इस बीच दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के नौ स्टेडियम को जेल में परिवर्तित करने के लिए दिल्ली सरकार से इजाजत मांगी है, ताकि इसमें किसानों को गिरफ्तार करके रखा जा सके.
पंजाब से आए कुछ किसानों को दिल्ली में घुसने से मना करते हुए सिंघू बॉर्डर पर रोक लिया गया है. किसानों ने कहा, ‘हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं और हम इसे जारी रखेंगे. इस शांति को बनाए रखते हुए दिल्ली में दाखिल होंगे. लोकतंत्र में हर किसी को प्रदर्शन करने की इजाजत होनी चाहिए.’
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने किसानों को दिल्ली आने से रोकने के कदम की निंदा की है.
उन्होंने कहा, ‘जब गांधी जी की सत्य अहिंसा की लाठी लेकर देश के किसान निकले तो दुनिया का सबसे बड़ा ब्रिटिश साम्राज्य तिनके की तरह बिखर गया. आज फिर दिल्ली दरबार के भाजपाई अहंकारियों के खिलाफ हुंकार गूंजी है. कांग्रेस काले क़ानूनों को खत्म करने को वचनबद्ध है.’
मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.