दिल्ली चुनाव के दौरान पांच राजनीतिक दलों को मिला लगभग 50 करोड़ रुपये फंड: एडीआर

एडीआर ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के 230 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी भाजपा, राकांपा, भाकपा, जदयू, राजद, रालोद समेत कई दलों द्वारा अब तक उनके चुनावी ख़र्च की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.

(फोटो: द वायर)

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: इस साल की शुरुआत में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान पांच राजनीतिक दलों को करीब 50 करोड़ रुपये का कोष मिला जबकि मीडिया में विज्ञापन पर 22 करोड़ रुपये समेत कुल 34.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने इस बारे में बताया है.

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एडीआर ने बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा कि राजनीतिक दलों ने मीडिया में विज्ञापन देने पर सबसे ज्यादा 22.72 करोड़ रुपये खर्च किए. प्रचार सामग्री पर 8.05 करोड़ रुपये और जनसभाओं पर 28 लाख रुपये खर्च किए गए.

एडीआर ने कहा कि दलों ने यात्रा पर कुल खर्च का 51.91 प्रतिशत या 68,000 रुपये स्टार प्रचारकों पर और 63,000 रुपये अन्य नेताओं पर खर्च किए.

संगठन ने कहा, ‘चुनाव हुए 230 से ज्यादा दिन हो चुके हैं, इसके बावजूद भाजपा, राकांपा, भाकपा, जद(यू), राजद, रालोद, एसएचएस और एआईएफबी द्वारा किए गए खर्च के बारे में जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है.’

एडीआर ने कहा कि पांच राजनीतिक दलों – माकपा, बसपा, आप, लोजपा और कांग्रेस ने क्रमश: 79 दिनों, 138 दिनों, 138 दिनों, 145 दिनों और 162 दिनों की देरी पर खर्च संबंधी विवरण मुहैया कराए.

एडीआर ने कहा, ‘चुनाव लड़ने के बावजूद लोजपा ने कहा कि खर्च नहीं हुआ. खर्च नहीं होने के बावजूद ब्यौरा देने में 145 दिन की देरी पर इसकी जानकारी मुहैया करायी गई.’

एडीआर ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों के लिए तय समय सीमा में निर्वाचन आयोग के पास उचित प्रारूप में खर्च का विवरण मुहैया कराने को जरूरी बनाना चाहिए और समय पर विवरण मुहैया नहीं कराने वाली पार्टियों पर जुर्माना लगाना चाहिए.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एडीआर ने कहा, ‘सभी दानकर्ताओं का विवरण, जो चुनाव अभियानों के लिए विशेष रूप से राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों में योगदान करते हैं और उनके द्वारा दान की गई राशि को सार्वजनिक तौर पर घोषित किया जाना चाहिए.’

साथ ही एडीआर ने कहा, ‘जहां तक संभव हो खर्च का ब्योरा चेक/डीडी या आरटीजीएस के माध्यम से लेनदेन तक सीमित किया जाना चाहिए ताकि चुनावों में कालेधन के उपयोग को कम किया जा सके जैसा कि चुनाव आयोग ने जारी किया है.’

उसने कहा है कि उम्मीदवारों के खर्च की निगरानी के लिए आयोग के पर्यवेक्षकों की तरह राजनीतिक दलों के खर्च की निगरानी के लिए भी पर्यवेक्षक होने चाहिए.

बता दें कि दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए फरवरी में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि आठ सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी. कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी.

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