छात्रा ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो गुजरात विश्वविद्यालय ने कहा- पहले नागरिकता साबित करें

गुजरात विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त एक कॉलेज की छात्रा ने आरटीआई दायर कर इंटर्नल परीक्षा के मार्कशीट की प्रतियां मांगी थीं, लेकिन संस्थान ने कहा कि पहले वे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करें. छात्रा का कहना है कि संविधान या आरटीआई एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है और वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगी.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)

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नई दिल्ली: गुजरात विश्वविद्यालय ने अपने एक लॉ ग्रैजुएट से कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए वह अपनी नागरिकता साबित करें.विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त गांधीनगर स्थित सिद्धार्थ लॉ कॉलेज की छात्रा तनाज़ नागोरी ने 19 अक्टूबर को आरटीआई दायर कर एलएलबी के छठे सेमेस्टर के इंटर्नल एग्जाम की मार्कशीट की प्रतियां मांगी थीं.इसके जवाब में विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) ने तीन दिसंबर को भेजे अपने जवाब में कहा, ‘आरटीआई एक्ट, 2006 की धारा 6 के तहत भारतीय नागरिक जानकारी मांग सकता है. आपसे गुजारिश की जाती है कि ये साबित करें कि आप भारतीय नागरिक हैं. आपसे भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र मिलने के बाद सूचना देने की प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा.’गुजरात विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर हिमांशु पांड्या ने बताया, ‘यह मामला पीआईओ तक सीमित है. मैंने न तो आवेदन और न ही जवाब देखा है, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं. लेकिन यह निश्चित है कि हम इस तरह के कदम नहीं उठाते हैं.’वहीं आवेदनकर्ता ने अखबार को बताया कि इंटर्नल एग्जाम में गड़बड़ियों की आशंका के चलते उन्होंने आरटीआई दायर कर जानकारी मांगी थी. सबसे पहले उन्होंने अपने कॉलेज में आरटीआई दायर की, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय का रुख किया.

उन्होंने कहा, ‘कॉलेज द्वारा भेजा गया इंटर्नल मार्क्स और विश्वविद्यालय द्वारा घोषित मार्क्स में अंतर है, वे एक जैसे नहीं हैं.’नागोरी ने बताया कि वे गोल्ड मेडलिस्ट हैं और उन्हें जनवरी में गुजरात विश्विद्यालय के 60वें दीक्षांत समारोह में पांच सेमेस्टर के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन के लिए चार गोल्ड मेडल मिले थे.उन्होंने कहा, ‘संविधान या आरटीआई एक्ट में कोई भी ऐसा क्लॉज नहीं है जहां आरटीआई आवेदन फाइल करने के लिए भारतीय नागरिकता साबित करनी पड़े. मैं इसे हाईकोर्ट में चुनौती दूंगी.विश्वविद्यालय ने कहा है कि आवेदनकर्ता या तो ऑफिस में आकर या फिर ई-मेल से अपनी नागरिकता प्रमाण पत्र भेज सकते हैं.

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