शादी के लिए धर्म परिवर्तन उचित नहीं, सामूहिक धर्म परिवर्तन बंद हो: राजनाथ सिंह

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कई जगह सामूहिक धर्म परिवर्तन का सिलसिला चलाया जा रहा है. ये सिलसिला बंद होना चाहिए. उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के बाद बीते मंगलवार को भाजपा शासित मध्य प्रदेश ने तथाकथित ‘लव जिहाद’ को राेकने के नाम पर क़ानून पारित किया है.

Patna: Union Defence Minister and senior BJP leader Rajnath Singh speaks during the party's Jan Jagran programme on removal of Article 370, in Patna, Sunday, Sept. 22, 2019. (PTI Photo) (PTI9_22_2019_000057B)

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को मंजूरी मिलने के एक दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि सामूहिक धर्मांतरण की प्रक्रिया बंद होनी चाहिए और वे शादी के लिए धर्म परिवर्तन को सही नहीं मानते हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में सिंह ने कहा, ‘हमारा तो ये कहना है कि धर्म परिवर्तन होना ही क्यों चाहिए. मैं तो देखता हूं कि कई जगह सामूहिक धर्म परिवर्तन का सिलसिला चलाया जा रहा है. ये सिलसिला बंद होना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक मुस्लिम समाज का प्रश्न है तो वहां दूसरे धर्म के लोग मुस्लिम समाज से शादी नहीं कर सकते हैं. मेरे हिसाब से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन कराना उचित नहीं है.’

इस सवाल पर कि यदि लड़की अपनी सहमति से धर्म परिवर्तन करती है, रक्षा मंत्री ने कहा, ‘बहुत सारे ऐसे मामले आए हैं जहां जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया गया है. सामान्य विवाह और जबरन शादी में अंतर होता है. मै समझता हूं कि सरकारों ने जो कानून बनाया है वो सारी चीजों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.’

हालांकि इन कानूनों के जरिये हिंदुत्वादी विचारों को जबरन थोपने और अन्य धर्मों को नीचा दिखाने के सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा कि जो सच्चा हिंदू होगा वो जाति, पंथ और मजहब के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के बाद तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के नाम पर मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने बीते मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी.

इस अध्यादेश में जबरन शादी, धमकी, लोभ या किसी तरह के प्रभाव से धर्मांतरण के लिए न्यूनतम एक से पांच साल तक की कैद और 25,000 रुपये का जुर्माना और अधिकतम तीन से दस साल की कैद और 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

यह कानून कुछ मायनों में पिछले महीने उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार द्वारा अधिसूचित ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के समान है, क्योंकि उसमें भी जबरन धर्मांतरण करवाने वाले के लिए अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है.

इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया है.

इस दौरान राज्य में कई सारे ऐसे मामले देखने को मिले जहां पुलिस प्रशासन द्वारा इस कानून के तहत हिंदू-मुस्लिम दंपत्ति को प्रताड़ित किया गया, कई सारी गिरफ्तारियां हुईं और कट्टरवादी हिंदू संगठनों ने ऐसे युवक-युवतियों एवं उनके परिजनों को डराने-धमकाने के भी मामले सामने आए हैं.

वहीं, बीते हफ्ते ही भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को लागू किया था. इसका उल्लंघन करने के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है.

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