केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत संबंधित कंपनियों के लिए एक पूरा शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. साथ ही ख़बर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए ‘आचार संहिता’ और त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली लागू होगी.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने गुरुवार को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर निगरानी और डिजिटल मीडिया और स्ट्रीमिंग मंचों को कड़े नियमों में बांधने की अपनी योजना का अनावरण किया.
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.
नए नियमों के हिसाब से बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को किसी उचित सरकारी एजेंसी या अदालत के आदेश/नोटिस पर एक विशिष्ट समय-सीमा के भीतर गैर कानूनी सामग्री हटानी होगी.’
नियमों में सेक्सुअल कंटेट के लिए अलग श्रेणी बनाई गई है, जहां किसी व्यक्ति के निजी अंगों को दिखाए जाने या ऐसे शो जहां पूर्ण या आंशिक नग्नता हो या किसी की फोटो से छेड़छाड़ कर उसका प्रतिरूप बनने जैसे मामलों में इस माध्यम को चौबीस घंटों के अंदर इस आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा.
गुरुवार को हुई प्रेस वार्ता में आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘बिजनेस करने के लिए सोशल मीडिया का भारत में स्वागत है… उनका अच्छा व्यापर है यहां. उनके यहां बड़ी संख्या में यूजर्स हैं और उन्होंने आम भारतीयों को सशक्त किया है. लेकिन यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग के खिलाफ समयबद्ध तरीके से अपनी शिकायतों के समाधान के लिए एक उचित मंच दिया जाना चाहिए.’
प्रसाद ने आगे जोड़ा कि सोशल मीडिया मंचों के बार-बार दुरुपयोग तथा फर्जी खबरों के प्रसार के बारे में चिंताएं व्यक्त की जाती रहीं हैं और सरकार ‘सॉफ्ट टच’ विनियमन ला रही है.
आईटी मंत्री ने यह भी कहा कि अधिकांश लागू होने योग्य संस्थाओं के लिए ये नियम उन्हें सूचित किए जाने के दिन से लागू हो जाएंगे, लेकिन उन ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया माध्यमों’- एक अलग श्रेणी की कंपनियों को तीन महीने का अतिरिक्त समय दी जाएगी, जिन पर अनुपालन का अधिक बोझ है.
मामला शुरू करने वाले ‘पहले व्यक्ति’ तक पहुंचना
नए नियमों के अनुसार, सरकार या अदालत के कहने पर सोशल मीडिया मंचों, खासकर मैसेजिंग की प्रकृति (जैसे वॉट्सऐप) वाले मंचों को शरारतपूर्ण सूचना की शुरुआत करने वाले ‘प्रथम व्यक्ति’ की पहचान का खुलासा करना होगा.
इस कदम का उद्देश्य वॉट्सऐप और सिग्नल का इस्तेमाल फेक न्यूज़ फ़ैलाने व अवैध कामों में करने वाले लोगों को पकड़ना है, लेकिन साइबर विशेषज्ञों का डर है कि इसके लिए कंपनियों को उनकी एंड टू एंड एन्क्रिप्शन वाले प्रोटोकॉल को तोडना होगा जिससे ‘सर्विलांस सरकार’ (कड़ी निगरानी) का रास्ता खुल जाएगा.
नए नियम के अनुसार, ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मंचों, खासकर जो मुख्य रूप से संदेश भेजने की प्रकृति में सेवाएं प्रदान करते हैं, को केवल उस जानकारी के पहले मूल व्यक्ति की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता से संबंधित अपराध की रोकथाम, उसका पता लगाने, जांच, अभियोजन या दंड के प्रयोजन, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक आदेश या उपरोक्त के संबंध में अपराध के उकसावे या बलात्कार, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री संबंधी अपराध, जो पांच वर्ष से कम अवधि के कारावास के साथ दंडनीय हैं, के लिए आवश्यक है.
‘तीन अफसर’
नए नियमों के अनुसार महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियां- जिनके एक निश्चित संख्या के यूजर्स हैं- को तीन अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी जो 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करेगा. इन तीनों का भारतीय होना अनिवार्य है.
पहला, एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर यानी मुख्य अनुपालन अधिकारी होगा, जो सभी कानून-नियमों के अनुपालन के लिए उत्तरदायी होगा.
दूसरी आवश्यकता एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करने की है, जो कानून प्रवर्तक एजेंसियों/अफसरों के लिए 24x 7 सहयोग करने के लिए मौजूद रहे.
तीसरा और अंतिम, कंपनियों को रेज़िडेंट ग्रीविएंस अफसर यानी स्थानीय शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो इस पूरे शिकायत निवारण तंत्र [Grievance Redressal Mechanism] के तहत बताए गए कामों के लिए जिम्मेदार होगा.
इसके साथ ही सोशल मीडिया मंचों को मासिक रूप से अनुपालन रिपोर्ट दायर करनी होगी.
ओटीटी और डिजिटल मीडिया
इन नए बदलावों में ’कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर भी लागू होंगे.
इन निकायों के लिए सॉफ्ट टच नियामक ढांचा स्थापित करने का प्रयास करते हुए सरकार ने कहा कि नेटफ्लिक्स और प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी मंचों को (दर्शकों की) उम्र पर आधारित पांच श्रेणियों- यू (यूनीवर्सल), यू/ए सात साल (से अधिक उम्र के), यू/ए 13 से (अधिक उम्र के), यू/ए 16 से (अधिक उम्र के) और ए (बालिग) में अपने आप को वर्गीकृत करना होगा.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने संवाददताओं से कहा कि ऐसे मंचों को यू/ए 13 (साल से अधिक उम्र) श्रेणी की सामग्री के लिए अभिभावक तालाबंदी प्रणाली तथा ए श्रेणी की सामग्री के वास्ते भरोसेमंद उम्र सत्यापण प्रणाली लागू करनी होगी.
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन सामग्री के प्रकाशकों को हर सामग्री या कार्यक्रम के बारे में विवरण देते समय प्रमुखता से उसका वर्गीकरण भी प्रदर्शित करना होगा ताकि उपयोगकर्ता उसकी प्रकृति के बारे में जान पाएं. इससे दर्शक को हर कार्यक्रम के प्रारंभ में ही उसकी सामग्री की प्रकृति का मूल्यांकन करने में और उसे देखने से पूर्व सुविचारित निर्णय लेने में मदद मिलेगी.
एक सरकारी बयान के अनुसार डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो.
नियमों के तहत स्वनियमन के अलग अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की गयी है.
पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा.
नियमों के अनुसार हर प्रकाशक को भारत के अंदर ही एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा जो शिकायतों के निवारण के लिए जिम्मेदार होगा और उसे शिकायत मिलने के 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा.
नियमों के मुताबिक प्रकाशकों के एक या एकाधिक स्वनियामक निकाय हो सकते हैं. ऐसे निकाय के अगुवा उच्चतम/उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश या कोई प्रख्यात हस्ती होंगे और उसमें छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे.
ऐसे निकाय को सूचना एवं प्रसारण मत्रालय में पंजीकरण कराना होगा. बयान के अनुसार यह निकाय प्रकाशकों द्वारा आचार संहिता के अनुपालन तथा शिकायत निवारण पर नजर रखेगा.
इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय कोड ऑफ प्रैक्टिसेज समेत स्वनियामक निकायों के लिए वास्ते चार्ट बनाकर जारी करेगा. वह शिकायतों पर सुनवाई के वास्ते अंतर-विभागीय समिति स्थापित करेगा.