दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर खिल भारतीय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि अगर सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती है तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिलेगा.
नई दिल्ली: कांग्रेस की किसान इकाई ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने के मौके पर शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार को अन्नदाताओं की मांग माननी चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करती है तो आगामी विधानसभा चुनावों में उसे किसानों के गुस्सा झेलना पड़ेगा.
अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने एक बयान में कहा, ‘किसान 100 दिनों से सड़कों पर बैठे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगें मानने को तैयार नहीं हैं. अगर सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती है तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिलेगा और भाजपा को किसानों का गुस्सा झेलना पड़ेगा.’
उन्होंने बताया, ‘किसान कांग्रेस देश के कई गांवों से एकत्रित मिट्टी के 101 घड़े आगामी सात मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भेंट करेगी, ताकि उन्हें ‘मिट्टी की सौगंध’ वाले उनके चुनावी वादे के बारे में याद दिलाया जा सके.’
किसान एकता मोर्चा ने ट्वीट कर कहा है, ‘किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर भारत सरकार के खिलाफ जारी प्रदर्शन के समर्थन में काले झंडे फहराए जाएंगे. छह मार्च को 11 बजे से शाम चार बजे तक कुंडली मानेसर पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे को बंद रखा जाएगा.’
शुक्रवार को किए गए एक अन्य ट्वीट में मोर्चा की ओर से कहा गया है, ‘आज किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपने प्रदर्शन का 100 दिन पूरा कर लेंगे. उनके साहस को सलाम. जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते किसान धरना देने के लिए तैयार हैं.’
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता दर्शनपाल ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि इन 100 दिनों के बाद हमारा आंदोलन हमारी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर एक नैतिक दबाव डालेगा. यह सरकार को कमजोर करेगा, जिसे फिर से बात करने के लिए हमारे साथ बैठना होगा.’
उन्होंने कहा कि कृषि कानून डेथ वारंट की तरह हैं.
राहुल गांधी ने कहा, तीनों कानून वापस लेने ही होंगे
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर शुक्रवार को कहा कि सरकार को ये कानून वापस लेने ही होंगे.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘बीज बोकर जो धैर्य से फसल का इंतजार करते हैं, महीनों की प्रतीक्षा व खराब मौसम से वे नहीं डरते हैं. तीनों कानून तो वापस करने ही होंगे.’
उल्लेखनीय है कि पिछले 100 दिनों से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए विवादित कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर हजारों किसान दिल्ली की तीन सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं.
किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि इन कृषि कानूनों से कंपनियों को लाभ होगा और इसलिए वे पंजाब और हरियाणा में बहुत सारी जमीनें खरीद रहे हैं, जिस पर वे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करेंगे और प्राइवेट मंडियां स्थापित करेंगे. इससे सरकारी मंडियां और खरीद व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
दूसरी तरफ सरकार ने तीनों कानूनों को कृषि सुधारों की दिशा में बड़ा कदम करार देते हुए कहा है कि इससे किसानों को लाभ होगा और अपनी उपज बेचने के लिए उनके पास कई विकल्प होंगे