अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर ने एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी के एक साल के दौरान मध्यम वर्ग की संख्या महामारी के पहले की तुलना में एक तिहाई घटकर 6.6 करोड़ रह गई, जिनका महामारी के पहले 9.9 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था.
नई दिल्ली: पिछले साल के कोविड-19 महामारी के कारण आए आर्थिक संकट ने सालों के आर्थिक तरक्की को पीछे धकेलते हुए 3.2 करोड़ भारतीयों को मध्यम वर्ग से बाहर कर दिया. गुरुवार को जारी हुए एक रिपोर्ट में जानकारी सामने आई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रिपोर्ट में पाया गया कि नौकरी जाने के कारण लाखों भारतीय गरीबी में चले गए.
अमेरिका स्थिति प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा, ‘भारतीय मध्यम वर्ग या प्रतिदिन 10 डॉलर से 20 डॉलर (700 रुपये से 1500 रुपये प्रतिदिन) के बीच कमाने वाले वालों की संख्या में 3.2 करोड़ की कमी आ गई है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘महामारी के एक साल के दौरान मध्यम वर्ग की संख्या महामारी के पहले से एक तिहाई घटकर 6.6 करोड़ रह गई जिनका महामारी के पहले 9.9 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था.’
विश्व बैंक की आर्थिक वृद्धि के अनुमानों का हवाला देते हुए प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा, ‘कोविड-19 मंदी में चीन की तुलना में भारत में मध्यम वर्ग में अधिक कमी और गरीबी में बहुत अधिक वृद्धि देखी गई है.’
रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘साल 2011 से साल 2019 के बीच लगभग 5.7 करोड़ लोग मध्यम आय वर्ग में आए थे.’
इस साल जनवरी में विश्व बैंक ने साल 2020 के लिए भारत और चीन के लिए क्रमशः 5.8 फीसदी और 5.9 फीसदी की आर्थिक वृद्धि के लगभग समान स्तर का अनुमान लगाया था.
लेकिन महामारी के लगभग एक साल के अंदर भारत के लिए 9.6 फीसदी के संकुचन और चीन के लिए 2 फीसदी की वृद्धि के साथ विश्व बैंक ने इस जनवरी में अपने पूर्वानुमान को संशोधित किया.
भारत में इस साल की शुरुआत तक मामलों में गिरावट के बाद कुछ औद्योगिक राज्यों में संक्रमण की दूसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है और अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत में सबसे अधिक 1.15 करोड़ (कोविड-19 संक्रमित) हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस महीने खत्म होने वाले चालू वित्त वर्ष में 8 फीसदी के संकुचन का अनुमान लगाते हुए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए कदम उठाए हैं.
प्यू सेंटर ने अनुमान लगाया कि प्रत्येक दिन दो डॉलर या उससे कम आय वाले गरीब लोगों की संख्या 7.5 करोड़ बढ़ गई है क्योंकि वायरस के कारण मंदी से सालों में हुई प्रगति पीछे छूट गई है.
इस वर्ष घरेलू ईंधन की कीमतों में लगभग 10 फीसदी की वृद्धि, नौकरी जाने और वेतन में कटौती ने लाखों घरों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे कई लोग विदेशों में नौकरी की तलाश कर रहे हैं.
रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘हालांकि चीन में जीवन स्तर में गिरावट मामूली रही क्योंकि मध्यम आय वर्ग की संख्या संभवतया एक करोड़ घट गई, जबकि गरीबी का स्तर अपरिवर्तित रहा.’