हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों के विरोध करते हुए आरोप लगाया कि विधेयक लाने का निर्णय कृषि क़ानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़ा है. राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि विपक्ष कह रहा हैं कि हम इसे किसान आंदोलन के लिए ला रहे हैं, लेकिन इसका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है.
चंडीगढ़: उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा सरकार ने भी दंगा या प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने वालों से वसूली के लिए एक विधेयक पारित कर दिया है.
कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच हरियाणा विधानसभा में बृहस्पतिवार को यह विधेयक पारित किया गया, जिसके तहत सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले हिंसक प्रदर्शनकारियों से क्षतिपूर्ति की वसूली की जाएगी.
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता जब ध्वनि मत से ‘हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली विधेयक, 2021’ को पारित करने की प्रक्रिया पूरी कर रहे थे तो कांग्रेस के दो विधायकों ने आसन के पास आकर इसे वापस लेने की मांग की.
कांग्रेस सदस्यों ने ‘विधेयक वापस लो, वापस लो’ के नारे लगाए.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस के उस सुझाव का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि विधेयक लाने का निर्णय केंद्र में लागू कानून को लेकर किसानों के आंदोलन से जुड़ा है.
वियेधक को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के मन में भय पैदा करना आवश्यक है और यह हमारी संवैधानिक कानूनी प्रणाली है. विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह कानून लोकतंत्र का गला घोंटने वाला है.
विज ने कहा कि विधेयक उन लोगों को जवाबदेह ठहराने से संबंधित है जो दुकानों को जलाते हैं और विरोध प्रदर्शन के दौरान अन्य सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरएस कादियान ने दावा किया कि विधेयक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे विधेयक की क्या आवश्यकता थी? यह विधेयक ऐसे समय में लाया गया है जब किसान धरने पर बैठे हैं.’
सदन में सार्वजनिक संपत्ति क्षति वसूली विधेयक को तीन दिन पहले रखा गया था. उसे लगभग एक घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया.
विपक्ष के आरोपों के जवाब में मंत्री विज ने कहा, ‘हम इस विधेयक को लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार के खिलाफ नहीं ला रहे हैं. वे (विपक्ष) कह रहे हैं कि हम इसे किसानों के आंदोलन के लिए ला रहे हैं, लेकिन इसका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है.’
बहरहाल राज्यपाल की सहमति मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा.
दैनिक जागरण के अनुसार, कानून बनने के बाद राज्य में आंदोलनों के दौरान आगज़नी या उपद्रव में सरकारी या फिर निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से भरपाई की जाएगी. तोड़फोड़ करने के आरोपियों के अलावा उन्हें भड़काने वाले लोगों के साथ ही मौके पर मौजूद दूसरे लोगों से भी जुर्माना वसूला जाएगा. आरोपी अगर जुर्माना नहीं चुका पाए तो उनकी संपत्ति और बैंक खाते कुर्क कर दिए जाएंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने तक हर्जाना नहीं देने पर उस पर छह फीसद ब्याज भी देना पड़ेगा. नुकसान के आकलन के लिए न्यूनतम एसडीएम स्तर के अफसर दावा आयुक्त लगाए जाएंगे और दावा अधिकरण भी गठित होगा. आरोपी अगर जुर्माने की 20 फीसद राशि जमा नहीं कर पाए तो हाईकोर्ट में चुनौती का अधिकार नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जहां सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली का प्रावधान करने वाला विधेयक पारित किया जा चुका है.
लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक के तहत यदि कोई भी प्रदर्शनकारी सरकारी या निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे एक साल की सज़ा या 5,000 रुपये से एक लाख तक के जुर्माने का सामना करना होगा.