कोविशील्ड टीके की दो डोज़ के बीच का समय 6-8 सप्ताह बढ़ाकर 12-16 हफ़्ता किया गया: सरकार
पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समयांतर बढ़ाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह दो डोज के बीच समयांतर को 28 दिनों से बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह तक कर दें. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच के समय में बदलाव नहीं किया गया है.
कोविशील्ड. (फोटो: रॉयटर्स)

कोविशील्ड. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारत सरकार ने एक सरकारी पैनल की सलाह पर कोविशील्ड टीके की दो डोज लगवाने के बीच के समय को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने का फैसला लिया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को इस आशय की घोषणा करते हुए कहा कि यह ‘विज्ञान आधारित फैसला है’ और इस विश्वास के साथ लिया गया है कि इससे कोई अतिरिक्त खतरा नहीं होगा.

मंत्रालय ने कहा, लेकिन नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (एनटीएजीआई) (टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) ने कोवैक्सीन के दो डोज के समयांतर (पहला और दूसरा डोज लगने के बीच का समय) में बदलाव का कोई सुझाव नहीं दिया है.

उसने कहा, ‘वास्तविक समय के साक्ष्यों, विशेष रूप से ब्रिटेन से प्राप्त, के आधार पर कोविड-19 कार्य समूह कोविशील्ड टीके के दो डोज के बीच समयांतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने पर राजी हो गया है. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच समयांतर में बदलाव की कोई सिफारिश नहीं की गई है.’

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा उत्पादित कोविशील्ड के दो डोज के बीच समयांतर फिलहाल 6 से 8 सप्ताह का है. हैदराबाद स्थित कंपनी भारत बायोटेक द्वारा देश में विकसित कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके कोविशील्ड का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है और देश में टीकाकरण में दोनों का उपयोग हो रहा है.

विभिन्न राज्यों में टीकों की कमी की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने यह भी कहा है कि टीके की कमी के कारण उन्हें 18 से 44 साल आयुवर्ग के लोगों का टीकाकरण स्थगित करना पड़ा है.

वहीं महाराष्ट्र ने टीके की कमी के मद्देनजर बुधवार को 18 से 44 साल आयुवर्ग के लोगों का टीकाकरण स्थगित करने का फैसला लिया. दिल्ली सरकार ने भी अनुपलब्धता के कारण इस आयुवर्ग में कोवैक्सीन का टीका लगाना बंद कर दिया है.

दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना सहित कई राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने घरेलू उत्पादन से मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में कोविड-19 रोधी टीके की खरीद के लिए वैश्विक निविदा जारी करने का फैसला लिया है.

इस पर जोर देते हुए कि यह एनटीएजीआई की सिफारिशों पर ‘विज्ञान के आधार पर लिया गया फैसला’ है, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा कि अध्ययन के अनुसार, ‘शुरुआत में कोविशील्ड के दो डोज के बीच समयांतर 4-6 सप्ताह का था, लेकिन और आंकड़ों की उपलब्धता और अनुपूरक विश्लेषण से पता चला है कि डोज के बीच समयांतर बढ़ाकर 4-8 सप्ताह करने पर कुछ ‘लाभ’ है.’

एनटीएजीआई स्थायी समिति है, जिसका गठन कोविड-19 से बहुत पहले हुआ था और वह बच्चों के टीकाकरण का काम करती है.

पॉल ने कहा, ‘यह (एनटीएजीआई) वैज्ञानिक आंकड़ों का विश्लेषण करता है और हमें संस्थान के फैसले का सम्मान करना चाहिए. वे स्वतंत्रतापूर्वक फैसला लेते हैं.’

पॉल ने कहा कि उन्होंने देखा कि ब्रिटेन समयांतर को बढ़ाकर 12 सप्ताह कर चुका है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी यही कहा है, लेकिन कई देशों ने डोज के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया है.

पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समयांतर बढ़ाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह दो डोज के बीच समयांतर को 28 दिनों से बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह तक कर दें.

मंत्रालय ने कहा, ‘कोविड-19 कार्य समूह की सिफारिश को कोविड-19 टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) द्वारा 12 मई, 2021 को हुई बैठक में स्वीकार कर लिया गया. एनईजीवीएसी के प्रमुख नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वीके पॉल हैं.’

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एनईजीवीएसी ने कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच समयांतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने के कोविड-19 कार्य समूह की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है.

कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉक्टर एनके अरोड़ा आईएनसीएलईएन (इंटरनेशनल क्लीनिकल एपिडेमियोलॉजी नेटवर्क) ट्रस्ट के निदेशक हैं.

इसके सदस्यों में जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशनल एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर) के निदेशक और डीन डॉक्टर राकेश अग्रवाल, वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज से प्रोफेसर डॉक्टर गगनदीप कांग, वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर जे. पी. मुल्लीयाल, दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंट बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के ग्रुप लीडर डॉक्टर नवीन खन्ना, दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्युनोलॉजी के निदेशक डॉक्टर अमूल्य पांडा और भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉक्टर वी.जी. सोमानी शामिल हैं.

मालूम हो कि भारतीय दवा महानियंत्रक डीसीजीआई ने जनवरी में दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी.

भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर कोवैक्सीन का विकास किया है. वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की है.

इसी माह रूस में निर्मित कोविड-19 की वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ के सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए भारत में मंजूरी मिल गई थी. ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. भारत में इसका निर्माण डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की ओर से होगा.

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 जनवरी को भारत में देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी. टीकाकरण के पहले चरण में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया था.

उसके बाद एक मार्च से कोविड-19 टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू हो गया है. इस चरण में 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों और 45 साल से ऊपर के उन लोगों को जिन्हें स्वास्थ्य  संबंधी गंभीर समस्याएं हों, को टीका लगाया जा रहा है.

बीते एक मई से 18 से 44 साल आयुवर्ग का टीकाकरण भी शुरू हो गया है.

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