हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा- कौवैक्सीन की वैश्विक मान्यता सुनिश्चित करने के लिए क्या क़दम उठाए

भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को भारत में तीन जनवरी 2021 को मंज़ूरी दी गई थी, जिसके बाद यह देश की दो सबसे प्रमुख वैक्सीन में से एक बन गई थी. लेकिन कुछ ख़बरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं, उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस टीके को वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली है.

कोवैक्सिन. (फोटो साभार: फेसबुक/bharatbiotech)

कोवैक्सीन. (फोटो साभार: फेसबुक/bharatbiotech)

कोच्चि: केरल हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी. चाली की एक खंडपीठ ने टीकाकरण प्रमाण-पत्र पर महत्वपूर्ण विवरण शामिल करने और कोवैक्सीन की सार्वभौमिक मान्यता की कमी के संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगी है, ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय परिवहन के लिए विश्वसनीय माना जा सके.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने केंद्र से यह बताने को कहा है कि कोवैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं.

सऊदी अरब में कार्यरत एक भारतीय नागरिक रहीम पट्टरकदावन ने प्रवासियों, विशेष रूप से सऊदी अरब के प्रवासियों की ओर से जनहित याचिका दायर की थी.

याचिका प्रवासी भारतीयों द्वारा सऊदी अरब की यात्रा करने के लिए उनके सख्त यात्रा दिशानिर्देशों के कारण सामना की जाने वाली तकनीकी विसंगतियों के कारण दायर की गई थी.

इस संदर्भ में एक आवेदन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के समक्ष दायर किया गया था, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया. उसने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का आग्रह किया.

याचिका में टीकाकरण प्रमाण-पत्र पर कोविशील्ड वैक्सीन का पूरा नाम और पासपोर्ट नंबर मौजूद होने, प्रवासियों को प्राथमिकता के आधार पर दूसरी खुराक उपलब्ध कराने और कोवैक्सीन को वैश्विक मान्यता सुनिश्चित करने की मांग की गई है.

जब इस महीने की शुरुआत में इस मामले की सुनवाई हुई थी, तो कोर्ट ने पाया था कि याचिका में उठाए गए सवाल पर केंद्र के विचार की आवश्यकता है और इस तरह भारत संघ को तीन सप्ताह के भीतर कोविड टीकाकरण प्रमाण-पत्र में इस तरह के विवरण को शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया.

आज जब मामला सामने आया तो याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हारिस बीरन ने कहा कि केरल सरकार ने पहले ही प्राथमिकता के आधार पर प्रवासियों को दूसरी खुराक प्रदान करने पर काम किया था.

अन्य मामलों के संबंध में डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार के वकील जगदीश लक्ष्मणन से अदालत को यह बताने के लिए कहा कि केंद्र ने कोवैक्सीन की सार्वभौमिक मान्यता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं.

इसके अतिरिक्त अदालत ने 2 जून के आदेश के अनुसार टीकाकरण प्रमाण-पत्र में उपरोक्त विवरणों को शामिल करने की स्थिति के बारे में पूछताछ की.

इस संबंध में केंद्र सरकार के जवाब को 6 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर पेश करने का निर्देश दिया गया.

बता दें कि कोवैक्सीन को भारत में तीन जनवरी 2021 को मंजूरी दी गई थी, जिसके बाद यह देश की दो सबसे प्रमुख वैक्सीन में से एक बन गई थी, लेकिन कुछ खबरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस टीके को वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली है.

दरअसल, इसे अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मंजूरी नहीं मिली है. पिछले महीने डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि भारत बायोटेक को अपने कोवैक्सीन टीके को आपात इस्तेमाल के लिए सूचीबद्ध कराने को लेकर और अधिक जानकारी देनी होगी.

इसके बाद हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने सरकार को बताया था कि वह कोवैक्सीन टीके को आपात इस्तेमाल के लिए सूचीबद्ध कराने को लेकर 90 प्रतिशत दस्तावेज पहले ही डब्ल्यूएचओ के पास जमा करा चुकी है. शेष दस्तावेज जून तक जमा कराए जाने की उम्मीद है.

इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी खाद्य एवं दवा नियामक (एफडीए) ने भी इसे आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी (ईयूए) देने से इनकार कर दिया था.

नियामक ने भारत बायोटेक के अमेरिकी साझेदार ओक्यूजेन इंक (Ocugen) को सलाह दी थी कि वह भारतीय वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी हासिल करने के लिए अतिरिक्त आंकड़ों के साथ जैविक लाइसेंस आवेदन (बीएलए) के लिए अनुरोध करे.

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