जम्मू कश्मीरः आतंकी संगठनों के सहयोगी होने के आरोप में 11 सरकारी कर्मचारी बर्ख़ास्त

बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे और और दो पुलिसकर्मी शामिल हैं. उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्खास्त किया गया है. यह अनुच्छेद प्रशासन को बिना जांच के कर्मचारियों का बख़ार्स्त करने की शक्ति देता है. इसके तहत कर्मचारी राहत पाने के लिए सिर्फ़ हाईकोर्ट का रुख़ कर सकते हैं.

New Delhi: Telecom Minister Manoj Sinha addresses a press conference regarding the achievements of his ministry in the four years of NDA government, in New Delhi on Tuesday, June 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI6_12_2018_000053B)

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर सरकार ने आतकंवादी संगठनों के सहयोगी के रूप में कथित तौर पर काम करने को लेकर हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों और दो पुलिसकर्मियों सहित अपने 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि बर्खास्त किए गए कर्मचारी शिक्षा, पुलिस, कृषि, कौशल विकास, बिजली, स्वास्थ्य विभाग तथा एसकेआईएमएस (शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) से थे.

अधिकारियों ने बताया कि इन 11 कर्मचारियों में अनंतनाग से चार, बडगाम से तीन और बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा तथा कुपवाड़ा से एक-एक हैं.

उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्खास्त किया गया है. इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच नहीं की गई और बर्खास्त कर्मचारी राहत पाने के लिए सिर्फ हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं.

बीते दिनों जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन द्वारा एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया गया है, जो अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत संदिग्ध गतिविधियों वाले कर्मचारियों के मामलों की जांच करेगा.

भारत के संविधान का अनुच्छेद 311 संघ या राज्य के अधीन सिविल क्षमताओं में कार्यरत व्यक्तियों को उनके खिलाफ जांच के बाद पद से बर्खास्त करने, हटाने या पद घटा देने से संबंधित है.

यह कानून (अनुच्छेद 311) संदिग्ध कर्मचारियों को उन आरोपों के संबंध में सुने जाने का उचित अवसर देता है, लेकिन खंड 2 (सी), जिसे जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा लागू किया गया है, जांच की इस शर्त को दरकिनार कर देता है. यदि ‘राष्ट्रपति या राज्यपाल- इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के हित में इस तरह की जांच करना उचित नहीं है.

संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा मिला होने के चलते जम्मू और कश्मीर पर अनुच्छेद 311 लागू नहीं हुआ करता था.

बहलहाल जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के मामलों की निगरानी के लिए गठित समिति ने अपनी दूसरी और चौथी बैठक में क्रमश: तीन और आठ कर्मचारियों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी.

उन्होंने बताया कि हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना के बेटों- सैयद अहमद शकील और शाहिद युसूफ को भी आतंकी वित्त पोषण में कथित तौर पर संलिप्त रहने को लेकर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि उनमें से एक एसकेआईएमएस में कार्यरत था, जबकि दूसरा शिक्षा विभाग में था.

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दोनों व्यक्तियों के तार आतंकी वित्त पोषण से जुड़े होने का पता लगाया था.

उन्होंने बताया कि समिति की दूसरी बैठक में जिन तीन कर्मचारियों की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई, उनमें कुपवाड़ा में आईटीआई में कार्यरत एक व्यक्ति भी शामिल है, जो आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मदद पहुंचाता था.

अधिकारियों ने बताया कि वह सुरक्षा बलों की आवाजाही के बारे में आतंकी संगठनों को सूचना देता था और आतंकवादियों को गुप्त तरीके से गतिविधियां करने में मदद करता था.

उन्होंने बताया कि उसके अलावा दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के दो शिक्षक राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए. वे जमात इस्लामी और दुख्तरन-ए-मिल्लत की अलगाववादी विचारधारा का प्रसार कर रहे थे.

अधिकारियों ने बताया कि समिति की चौथी बैठक में जिन आठ सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई, उनमें जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबल भी शामिल हैं, जिन्होंने पुलिस विभाग के अंदर से आतंकवाद को सहयोग दिया और आतंकवदियों को आंतरिक सूचना मुहैया की तथा साजो सामान से मदद की.

उन्होंने बताया कि कांस्टेबल अब्दुल राशिद शिगन ने खुद सुरक्षा बलों पर हमला किया था.

उन्होंने बताया कि एक अन्य सरकारी कर्मचारी ने दो दुर्दांत आतंकवादियों को अपने घर में पनाह दी थी.

अधिकारियों ने बताया कि सेवा से बर्खास्त कर दिए गए शिक्षा विभाग में कार्यरत जब्बार अहमद पारे और निसार अहमद तंत्राये पाकिस्तान से प्रायोजित अलगावादी एजेंडा को बढ़ाने और जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा का प्रसार करने में सक्रिय रूप से संलिप्त था.

उन्होंने बताया कि बिजली विभाग में निरीक्षक के रूप में कार्यरत शाही अहमद लोन को हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए हथियारों की तस्करी और परिवहन में संलिप्त पाया गया.

उन्होंने बताया कि वह पिछले साल जनवरी में दो आतंकवादियों के साथ श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करने और हथियार, गोला बारूद तथा विस्फोटक ले जाते पाया गया था.

मामूली आधार पर 11 सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी अपराध है: महबूबा

जम्मू कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि 11 सरकारी कर्मचारियों को ‘मामूली आधारों’ पर बर्खास्त करना अपराध है और केंद्र संविधान को ‘रौंदकर छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में’ जम्मू कश्मीर के लोगों को ‘नि:शक्त’ बना रहा है.

महबूबा ने ट्वीट किया, ‘भारत सरकार ने संविधान को रौंद कर छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में जम्मू.कश्मीर के लोगों को निशक्त बनाना जारी रखा है. 11 सरकारी कर्मचारियों को तुच्छ आधार पर बर्खास्त करना आपराधिक है. जम्मू.कश्मीर के सभी नीतिगत फैसले कश्मीरियों को दंडित करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ लिए जाते हैं.’

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