केंद्र सरकार 10 दिनों के भीतर मेडिकल ऑक्सीजन से जुड़ा आंकड़ा जारी करे: सीआईसी

देश में अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से देशभर के कोविड-19 मरीज़ों की मौत के तमाम मामले सामने आए थे. हालांकि बीते दिनों केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि उनके पास दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत की कोई ख़बर नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (साभार: ट्विटर/नरेंद्र मोदी)

नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने मेडिकल ऑक्सीजन के रिकॉर्ड सार्वजनिक तौर पर साझा नहीं करने के केंद्र सरकार के फैसले को अनुचित ठहराया है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीआईसी का कहना है कि केंद्र सरकार का कोविड-19 से निपटने की तैयारी और इससे बचाव की जानकारी के आधिकारिक रिकॉर्ड नागरिकों के साथ साझा करने से इनकार इस आधार पर है कि इससे राष्ट्रहित के प्रति खतरा पैदा होगा.

सीआईसी ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला अनुचित है और न्यायोचित नहीं है.

2005 के सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत गठित संवैधानिक एजेंसी सीआईसी ने केंद्र सरकार से 10 दिनों के भीतर मेडिकल ऑक्सीजन के मामलों से जुड़ी अधिकार प्राप्त समूह की उपसमिति के आंकड़ें जारी करने को कहा है.

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत उपसमिति को मेडिकल ऑक्सीजन के प्रबंधन का काम सौंपा गया था.

सीआईसी का यह आदेश मेडिकल ऑक्सीजन के डेटा संबंधी रिकॉर्ड को उजागर करने के लिए दायर आरटीआई के बाद आया है.

यह आरटीआई दिल्ली के कार्यकर्ता एवं खोजी पत्रकार सौरव दास ने दायर की थी.

दास ने आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि ऑक्सीजन की उपसमिति की बैठकें कब हुईं, इन बैठकों का एजेंडा क्या रहा. बैठकों के दौरान प्रेजेंटेशन की प्रतियों की मांग की गई. बैठकों के मिनट्स और ऑक्सीजन के भंडारण और इसकी सप्लाई का ब्योरा मांगा गया था.

मालूम हो कि देश में अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से देशभर के कोविड-19 मरीज़ों की मौत के तमाम मामले सामने आए थे. इनमें से दिल्ली के दो अस्पतालों में ही 40 से अधिक कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई थी.

केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने 11 जून को धारा 8(1) (ए) और (डी) के तहत जानकारी मुहैया कराने से इनकार कर दिया.

इन धाराओं के तहत अधिकारी ऐसी जानकारियो को रोककर रख सकते हैं, जिनसे भारत की सुरक्षा, कूटनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित प्रभावित हो सकते हों. इसके साथ ही व्यापार संबधी रहस्य और बौद्धिक संपदा से जुड़ी जानकारियों को भी मुहैया नहीं कराया जा सकता.

सीआईसी ने दास द्वारा की गई अपील पर 22 जुलाई को सुनवाई के बाद बीते शनिवार को जारी अपने आदेश में कहा, जो जानकारी मांगी जा रही है, उसे छिपाना बिल्कुल भी उचित नहीं है.

सीआईसी ने आदेश दिया कि सीपीआईओ को आरटीआई अधिनियम के तहत इस मामले में अधिक से अधिक जानकारी मुहैया कराने को कहा है.

सीआईसी ने कहा, ‘जानकारी मुहैया कराने से इनकार उचित नहीं था.’

दास ने पिछले साल भी कोविड-19 के लिए नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन (नेगवैक) के आधिकारिक रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी के लिए आरटीआई दायर की थी.

दास ने कहा, ‘सरकार कोविड-19 से निपटने को लेकर की गईं तैयारियों को लेकर रिकॉर्ड साझा नहीं करने के अपने फैसले पर अड़ी हुई है.’

दास ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि इस आदेश के व्यापक प्रभाव होंगे और सरकार नेगवैक से संबधित जानकारियों को साझा करेगी.’

दास ने उन डेटा की भी जानकारी मांगी थी, जिनके आधार पर देश की दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई.

बता दें कि इससे पहले 20 जुलाई को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि उनके पास कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत की कोई खबर नहीं है, जिसकी विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आलोचना की थी.

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