केंद्र के टीका समिति के प्रमुख ने कहा, अच्छी गुणवत्ता न होने के चलते हुई कोवैक्सीन की कमी

टीकाकरण सलाहकार समिति के प्रमुख एनके अरोड़ा ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में कोवैक्सीन का उत्पादन कई गुना बढ़ेगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वैक्सीन की जो खेप अच्छी गुणवत्ता की नहीं थी, उसे टीकाकरण के लिए नहीं भेजा गया था.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारत सरकार के टीकाकरण सलाहकार समिति के प्रमुख एनके अरोड़ा ने कहा है कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन की सप्लाई इसलिए धीमी पड़ी हुई है क्योंकि शुरूआत में इसके कुछ खेप अच्छी गुणवत्ता के नहीं थे.

एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में अरोड़ा ने स्वीकार किया कि सरकार कोवैक्सीन के ज्यादा उत्पादन की आस लगाए हुए बैठी थी, लेकिन उसे उस समय झटका लगा जब कंपनी के सबसे बड़े बेंगलुरु प्लांट में इसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं पाई गई. हालांकि उन्होंने इसके साथ यह भी स्पष्ट किया कि इन टीकों को टीकाकरण के लिए नहीं भेजा गया था.

अरोड़ा ने चैनल से कहा, ‘बेंगलुरु प्लांट विश्व में सबसे बड़े वैक्सीन निर्माण प्लांट्स में से एक है. लेकिन शुरुआत में इसके कुछ खेप की गुणवत्ता अच्छी नहीं थी. लेकिन अब तीसरी और चौथी खेप आई है, जिसे आगे बढ़ाया गया है. हमें उम्मीद है कि अगले चार या छह सप्ताह में भारत बायोटेक से वैक्सीन का उत्पादन वास्तव में बढ़ जाएगा.’

डॉ अरोड़ा ने बताया कि हाल ही में बेंगलुरु प्लांट ने बेहतर टीकों का उत्पादन शुरू किया है और अगले कुछ हफ्तों में उत्पादन में तेजी से वृद्धि होगी.

टीकाकरण सरकार के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है. देश के कुछ हिस्सों में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों ने तीसरी लहर का अंदेशा जताया है, जो संभवतया अक्टूबर में किसी समय चरम पर होगी.

अगर सरकार दिसंबर तक के अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहती है तो भारत को एक महीने में 30 करोड़ खुराक की जरूरत है, यानी की प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को टीका लगाना होगा.

क्या इस स्तर का उत्पादन संभव है? इस पर डॉ. अरोड़ा ने कहा कि उन्हें बिल्कुल उम्मीद है कि आने वाले दिनों में टीके का उत्पादन कई गुना बढ़ेगा.

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