अफ़ग़ानिस्तान संकट: भारत राजधानी काबुल से अपने राजनयिकों और अधिकारियों को वापस लाया

 

अधिकारियों ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल से भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राष्ट्रीय राजधानी के पास स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन आने के क्रम में मार्ग में सुबह क़रीब 11:15 बजे गुजरात के जामनगर स्थित वायुसेना स्टेशन में उतरा. भारत ने अफ़ग़ान नागरिकों के लिए आपातकालीन ई-वीज़ा की घोषणा की. इस बीच भारत में रह रहे अफ़ग़ान छात्रों ने वीज़ा अवधि बढ़ाने की मांग की है.

गुजरात के जामनगर में मंगलवार को भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान द्वारा संकटग्रस्त अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को वापस लेकर लौटा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/जामनगर: अफगानिस्तान पर पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां खराब होते सुरक्षा हालात के मद्देनजर भारत वहां से अपने राजदूत और भारतीय दूतावास के अपने कर्मचारियों को एक सैन्य विमान से मंगलवार को स्वदेश वापस ले आया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राष्ट्रीय राजधानी के पास स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन आने के क्रम में मार्ग में पूर्वाह्न करीब 11:15 बजे गुजरात के जामनगर स्थित वायुसेना स्टेशन में उतरा.

अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रुद्रेंद्र टंडन ने जामनगर में पत्रकारों से कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हालात बेहद खराब हैं और वहां फंसे भारतीयों को वाणिज्यिक उड़ान सेवा शुरू होने के बाद वापस लाया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘सुरक्षित रूप से देश वापस आकर खुश हूं. हमारा बहुत बड़ा दूतावास है. दूतावास में हमारे 192 कर्मचारी हैं, जिन्हें दो चरणों में बहुत ही व्यवस्थित तरीके से तीन दिन के भीतर अफगानिस्तान से वापस लाया गया है.’

पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में दायित्व संभालने वाले टंडन ने कहा कि काबुल में तेजी से बदली स्थिति के बीच दूतावास ने अनेक परेशान भारतीयों की मदद की और उन्हें शरण भी दी.

उन्होंने कहा, ‘हम स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं, क्योंकि वहां अब भी कुछ भारतीय नागरिक हैं. इसीलिए एयर इंडिया काबुल तक अपनी वाणिज्यिक सेवा का परिचालन जारी रखेगी.’

टंडन ने कहा, ‘धन्यवाद वायुसेना, जो हमें असामान्य स्थितियों में वापस लेकर आई.’

उन्होंने कहा कि अफगान लोगों के कल्याण के लिए काम जारी रखने की इच्छा भारत के दिल में है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस संबंध में ट्वीट कर कहा, ‘भारतीय राजदूत और दूतावास के कर्मचारियों का काबुल से भारत आना एक कठिन और जटिल अभ्यास था. उन सभी का धन्यवाद जिनके सहयोग और सुविधा ने इसे संभव बनाया.’

इससे पहले मंगलवार सुबह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह फैसला किया गया कि काबुल में भारत के राजदूत और उनके भारतीय कर्मचारियों को मौजूदा हालात के मद्देनजर तत्काल देश वापस लाया जाएगा.

बागची ने ट्वीट किया, ‘मौजूदा हालात के मद्देनजर यह फैसला किया गया है कि काबुल में हमारे राजदूत और उनके भारतीय कर्मचारियों को तत्काल भारत लाया जाएगा.’

भारत के राजदूत और अन्य अधिकारियों तथा दूतावास के सुरक्षाकर्मचारियों समेत 120 से अधिक लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना के विमान ने सुबह करीब आठ बजे काबुल हवाईअड्डे से उड़ान भरी. ऐसा बताया जा रहा है कि इस विमान से कुछ अन्य भारतीय नागरिक भी लौटे हैं.

भारतीयों को वापस लाने के लिए अफगानिस्तान से भारत आने वाला यह दूसरा विमान है. इससे पहले काबुल में हवाईअड्डा संचालन निलंबित होने से पहले एक अन्य सी-17 विमान के जरिये सोमवार को भारतीय दूतावास के कुछ कर्मचारियों समेत करीब 40 लोगों को अफगानिस्तान से भारत लाया गया था.

इन लोगों ने बताया कि दोनों सैन्य विमान पाकिस्तानी हवाईक्षेत्र की जगह ईरानी हवाईक्षेत्र से होते हुए काबुल पहुंचे थे.

इससे पहले जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की है.

भारत अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है. इसी के मद्देनजर जयशंकर सुरक्षा परिषद के इस सप्ताह दो उच्च स्तरीय अहम कार्यक्रमों की अध्यक्षता के लिए सोमवार को चार दिवसीय दौरे पर न्यूयार्क आए.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि जयशंकर और ब्लिंकन ने अफगानिस्तान संबंधी हालात पर चर्चा की.

जयशंकर सोमवार को यहां पहुंचे जब सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में स्थिति पर एक आपात बैठक की. यह 10 दिनों में दूसरी बार है कि जब युद्धग्रस्त देश में तेजी से बिगड़ती स्थिति पर चर्चा करने के लिए भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई.

उन्होंने बीती देर रात तीन बजे ट्वीट किया, ‘(अमेरिका के विदेश मंत्री) ब्लिंकन के साथ अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर चर्चा की. हमने काबुल में हवाईअड्डा संचालन बहाल करने की अत्यधिक आवश्यकता पर बल दिया. हम इस संबंध में अमेरिकी प्रयासों की बहुत सराहना करते हैं.’

ऐसा बताया जा रहा है कि जयशंकर ने काबुल से भारतीय अधिकारियों को बाहर निकालने को लेकर अमेरिकी अधिकारियों समेत कई लोगों से वार्ता की.

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान से लोगों को बाहर ले जा रहे एक विमान में सवार होकर देश से निकलने की उम्मीद में हजारों हताश लोग काबुल हवाईअड्डे पहुंच गए थे, जिसके बाद अमेरिकी सेना ने सोमवार को हवाईअड्डे की सुरक्षा अपने नियंत्रण में ले ली थी.

अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के कारण डर एवं अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है. अफगान हवाई क्षेत्र को काबुल हवाईअड्डा प्राधिकरण ने ‘अनियंत्रित’ घोषित कर दिया, जिसके बाद वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित करनी पड़ीं.

जयशंकर ने कहा कि भारत काबुल में हालात पर लगातार नजर रख रहा है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं काबुल के हालात पर लगातार नजर रख रहा हूं. भारत लौटने के इच्छुक लोगों की घबराहट समझता हूं. हवाईअड्डा संचालन मुख्य चुनौती है. इस संबंध में साझेदारों के साथ विचार-विमर्श जारी है.’

विदेश मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘अफगानिस्तान में घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज महत्वपूर्ण चर्चा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को जताया. संयुक्त राष्ट्र में मेरे कार्यक्रमों के दौरान इन पर चर्चा की उम्मीद है.’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार काबुल में सिख और हिंदू समुदाय के नेताओं के लगातार संपर्क में है.

जयशंकर ने कहा, ‘काबुल में हालात के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास वहां भारतीयों के बारे में सटीक जानकारी हो. अपील की जाती है कि सभी संबंधित लोग इस बारे में विदेश मंत्रालय के विशेष अफगानिस्तान प्रकोष्ठ को सूचना मुहैया कराएं.’

बता दें कि इससे पहले भारत जनवरी 1994 और सितंबर 1996 में भी सुरक्षा कारणों से अपने दूतावासों को बंद कर चुका है. नवंबर 2001 में अपना राजनयिक मिशन खोलने वाला भारत पहला देश था, जिसमें विवेक काटजू राजदूत थे.

काबुल से 120 भारतीयों को लेकर जामनगर पहुंचने के बाद वायुसेना का विमान दिल्ली रवाना

काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मचारियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से गुजरात के जामनगर पहुंचा. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि सी-19 विमान पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर जामनगर में वायुसेना अड्डे पर उतरा और फिर वह ईंधन भराने के बाद तीन बजे अपराह्न दिल्ली के समीप स्थित हिंडन एयरबेस के लिए रवाना हो गया.

अधिकारी ने बताया कि सी-17 विमान से उतरने के बाद यात्रियों का वहां मौजूद लोगों ने स्वागत किया. कई यात्रियों को माला पहनाई गई एवं कई अन्य ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते नजर आए.

गुजरात के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह जडेजा ने कहा, ‘विमान से आए लोगों को मध्याह्न भोजन कराया गया.’

गुजरात सरकार ने एक विज्ञप्ति में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद युद्ध ग्रस्त देश में ‘फंसे भारतीय नागरिकों एवं अधिकारियों को निकालने के अभियान की निजी तौर पर निगरानी कर रहे’ हैं.

जामनगर की भाजपा सांसद पूनमबेन मदाम ने ट्वीट किया, ‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई वाली सरकार अफगानिस्तान में फंसे अपने देशवासियों को निकालने के लिए लगातार काम कर रही है. एक ऐसे ही अभियान के तहत वायुसेना का विमान सी-17 नई दिल्ली जाने के रास्ते में जामनगर में उतरा. जामनगर में भारतीयों का जोरदार स्वागत किया गया.’

भारत ने अफगान नागरिकों के लिए आपातकालीन ई-वीजा की घोषणा की

इस बीच, भारत ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को देखते हुए मंगलवार को घोषणा की कि वह यहां आने की इच्छा रखने वाले अफगान नागरिकों के लिए एक आपातकालीन ‘ई-वीजा’ जारी करेगा.

किसी भी धर्म के सभी अफगान नागरिक ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा’ के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और नई दिल्ली में उनकी अर्जियों पर कार्रवाई होगी.

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के दो दिन बाद यह घोषणा की गई है.

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को देखते हुए वीजा प्रावधानों की समीक्षा की है. भारत में प्रवेश के लिए वीजा अर्जियों पर जल्द फैसला लेने के लिए ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा’ की नयी श्रेणी बनायी गई है.’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा था कि भारत अफगान हिंदुओं और सिखों को स्वदेश वापसी की सुविधा प्रदान कर रहा है.

उन्होंने कहा था, ‘कई ऐसे अफगान हैं जो साझा विकास, शैक्षिक और लोगों से लोगों के प्रयासों को बढ़ावा देने में हिस्सेदार रहे हैं. हम उनके साथ खड़े रहेंगे.’

अधिकारियों ने बताया कि अफगानिस्तान में भारत के मिशनों के बंद होने के कारण वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है और नई दिल्ली में अर्जियों की जांच की जाएगी. उन्होंने बताया कि शुरुआत में वीजा छह महीने की अवधि के लिए दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि अर्जियों पर कार्रवाई करते और अफगान नागरिकों को वीजा देते हुए सुरक्षा मुद्दों पर गौर किया जाएगा. सभी धर्मों के अफगान नागरिक वीजा के लिए आवेदन दे सकते हैं.

हजारों अफगान नागरिक सोमवार को काबुल के मुख्य हवाईअड्डे पर उमड़ पड़े और उनमें से कुछ तालिबान से बच कर भागने के लिए इतने परेशान थे कि वे सेना के एक विमान पर चढ़ गए और जब उसने उड़ान भरी तो नीचे गिरने के कारण उनकी मौत हो गई.

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अराजकता की स्थिति में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई.

अफगान छात्रों को अपने परिवार की चिंता, वीजा अवधि बढ़ाने की मांग

पुणे/बेंगलुरु: तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद पुणे में पढ़ रहे युद्धग्रस्त देश के छात्र काफी चिंतित हैं, क्योंकि उनमें से ज्यादातर अपने परिवार के सदस्यों से बात नहीं कर पा रहे हैं और कुछ छात्र लंबे वक्त तक यहां रहने के लिए अपने वीजा की अवधि बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं.

पुणे में अफगान छात्र संघ के अनुसार, शहर में अलग-अलग संस्थानों में पड़ोसी देश के करीब 3,000 छात्र पढ़ रहे हैं.

अफगानिस्तान के छात्रों की अहम मांगों में से एक वीजा की अवधि बढ़ाना है, जो जल्द ही खत्म हो रही है, ताकि ये छात्र अपने देश में स्थिति स्थिर होने तक भारत में रह सके.

अफगान छात्र संघ, पुणे के अध्यक्ष वली रहमान रहमानी ने सोमवार को कहा, ‘कुछ छात्र हैं, जो घर पर अपने परिवार से बात कर पाए, लेकिन कई और भी हैं जो अपने माता-पिता और परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि संघ इन छात्रों की परिवार से बात कराने में मदद कर रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ छात्रों की वीजा अवधि जल्द ही खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हम भारत सरकार से अफगानिस्तान में स्थिति में सुधार होने तक उनके वीजा की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर रहे हैं.’

फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एफआईएसए) के अध्यक्ष अब्बा उमर ने कहा, ‘मुश्किल के इस वक्त में हम अफगान छात्रों को हरसंभव मदद देने की कोशिश कर रहे हैं.’

एक निजी विश्वविद्यालय से एमबीए कर रहे शुकरुल्ला अहमदी (25 वर्ष) ने कहा, ‘अफगानिस्तान में स्थिति भयानक और डरावनी है. हमने इस तरह के हालात की कभी कल्पना नहीं की थी. काबुल से बमुश्किल 50 किलोमीटर दूर लोगार प्रांत में अपने गृह नगर में इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं पूरी तरह बंद है और मैं अपने परिवार से बात नहीं कर पाया हूं.’

इस बीच बेंगलुरु और धारवाड़ में पढ़ रहे कई अफगान छात्र भी काफी चिंतित हैं. यहां एक निजी कॉलेज में पढ़ रहे हारून ने कहा, ‘हम घर पर अपने परिवारों को लेकर बहुत फिक्रमंद हैं. हालात बहुत खराब हैं. मैं उन्हें फोन नहीं कर पाया हूं, लेकिन जब मैंने इंटरनेट के जरिए बात की तो उन्होंने कहा कि वे सुरक्षित हैं.’

शहर में पढ़ रहे कुछ अन्य अफगान छात्रों ने बताया कि उन्हें अपने परिजनों की चिंता है. एक छात्रा ने कहा कि अमेरिका के समर्थन वाली सरकार में पिछले कुछ वर्षों में हालात सुधरे थे लेकिन अब भी फिर से तालिबान का शासन आ गया है, स्थिति खराब होगी.

उसने कहा, ‘हम नहीं जानते कि तालिबान महिलाओं पर कौन से नियम लागू करने जा रहा है. यह हमारे लिए चिंता की बात है.’

विजयन ने काबुल में फंसे मलयाली लोगों को स्वदेश लाने का किया आग्रह

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अफगानिस्तान में सत्ता पर तालिबान के कब्जा जमाने के मद्देनजर मंगलवार को केंद्र से काबुल में फंसे मलयाली लोगों को स्वदेश लाने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया.

सरकारी सूत्रों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर केरल के गैर निवासियों के लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसी ‘एनओआरकेए रूट्स’ ने इस संबंध में विदेश मंत्रालय को एक पत्र सौंपा. उन्होंने बताया कि काबुल में फंसे लोगों में से 36 ने अभी तक मदद मांगते हुए एनओआरकेए से संपर्क किया है.

एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरिकृष्णन नम्बूदिरी के. ने काबुल में फंसे मलयाली लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि यह पता लगाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं कि क्या अफगानिस्तान की राजधानी में और केरलवासी फंसे हैं. सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने उन्हें मिली सूचना विदेश मंत्रालय को दे दी है.

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