अमीर देशों द्वारा जमा की गई कोविड वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक बर्बादी की कगार पर: रिपोर्ट

 


विज्ञान एनालिटिक्स कंपनी ‘एयरफिनिटी’ की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस वर्ष के अंत तक ख़राब होने वाले दस करोड़ कोविड-19 टीकों में से यूरोपीय संघ के पास 41 फीसदी और अमेरिका के पास 32 फीसदी टीके हैं. वैश्विक स्तर पर इस तरह के असमान टीका वितरण को लेकर गहरी नाराज़गी जताई जा रही है.नई दिल्ली: एक नए आकलन में पता चला है कि अमीर देशों द्वारा इकट्ठा किए गए करीब 10 करोड़ कोविड-19 टीका इस साल के अंत तक बर्बाद हो जाएगा. इसे लेकर गहरी नाराजगी जताई जा रही है कि कई गरीब देशों को उपयुक्त मात्रा में टीका दिए बिना ही अमीर देशों ने इसकी जमाखोरी की थी और यह अब बर्बाद होने वाला है.

रिपोर्ट के अनुसार, बीते 19 सितंबर को विज्ञान एनालिटिक्स कंपनी ‘एयरफिनिटी (Airfinity)’ द्वारा जारी आकलन में बताया गया है कि गरीब देशों के महज 1.9 फीसदी लोगों को वैक्सीन का कम से कम एक डोज लगा है, जबकि अमेरिका में 63 फीसदी और यूनाइटेड किंगडम (यूके) में 71 फीसदी लोगों को कम से कम एक डोज लगी है.

एयरफिनिटी ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक बर्बाद होने वाले 10 करोड़ टीकों में से यूरोपीय संघ के पास 41 फीसदी और अमेरिका के पास 32 फीसदी टीके हैं.ग्लोबल जस्टिस नाउ के अनुसार यह टीका वितरण में व्यापक असमानता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि कम आय वाले देशों को टीका मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है.

ग्लोबल जस्टिस नाउ के निदेशक निक डियरडेन ने बीते रविवार को एक बयान में कहा, ‘यूके जैसे अमीर देश टीके जमा कर रहे हैं, जिनकी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सख्त जरूरत है. हमें तुरंत वैश्विक दक्षिण देशों को खुराक सौंपनी चाहिए. लेकिन सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं होगा.’

उन्होंने कहा कि लाखों खुराक बर्बाद करना क्रूरता है. इससे कई लोगों के जीवन को बचाया जा सकता था. लेकिन जब मुट्ठी भर अमीर देश की कंपनियां वैक्सीन उत्पादन पर एकाधिकार करती हैं, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होना अपरिहार्य हो जाता है.

डियरडेन ने आगे कहा, ‘गरीब देशों को अपनी आबादी का टीकाकरण करने के लिए हमारी खुराक समाप्त होने तक इंतजार नहीं करना चाहिए. कई देश सुरक्षित रूप से टीकों का निर्माण करने में सक्षम हैं, बशर्ते यदि हम बौद्धिक संपदा अधिकार से छूट प्रदान करें, ताकि इन टीकों को उन देशों में पेटेंट मुक्त बनाया जा सके, जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है.’

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (एमएसएफ) ने पिछले महीने एक बयान में कहा था कि ऐसा करना संभव है.

एमएसएफ के एक्सेस कैंपेन की कैंपेन मैनेजर लारा डोविफैट ने कहा था, ‘अफ्रीका में एमआरएनए (mRNA) वैक्सीन निर्माण क्षमता स्थापित करना बिल्कुल संभव है.’

उन्होंने एमएसएफ के विश्लेषण की ओर इशारा करते हुए प्रदर्शित किया कि ‘अफ्रीकी देशों में कम से कम सात निर्माता वर्तमान में एमआरएनए टीकों का उत्पादन करने के लिए आवश्यक शर्तें पूरी करते हैं, यदि सभी आवश्यक तकनीक और प्रशिक्षण खुले तौर पर साझा कर दिए जाएं.’

एयरफिनिटी का ये आकलन इस सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा बुलाए गए एक कोविड-19 वर्चुअल शिखर सम्मेलन से पहले आया है.

टिप्पणियाँ
Popular posts
परमपिता परमेश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दें, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें व समस्त परिजनों व समाज को इस दुख की घड़ी में उनका वियोग सहने की शक्ति प्रदान करें-व्यापारी सुरक्षा फोरम
चित्र
हर वोट हैं जरूरी, मतदाता के रूप में आज ही पंजीकरण करवायें -सीईओ श्री नवदीप रिणवा
चित्र
राज्यों के परिणाम का उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं, नेताओं, नीतियों और कार्यक्रमों पर कोई असर नही पड़ेगा - अजय राय
चित्र
योगी सरकार ने खोला पिटारा- सात जिलों के 24 गांव यूपीडा में शामिल, इन दो एक्सप्रेसवे के किनारे होगा भूमि अधिग्रहण
चित्र
मेधावी छात्र सम्मान समारोह: ‘कठिन परिश्रम से ही मिलती है सफलता, इसका कोई विकल्प नहीं
चित्र