विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2005 के बाद पहली बार अपने नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि हर साल वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 70 लाख लोगों की अकाल मृत्यु होने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य के प्रभावित होने का अनुमान हैनई दिल्ली/जिनेवा: वर्ष 2005 के बाद पहली बार अपने नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश जारी करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में एक है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसके नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश का लक्ष्य लाखों लोगों को वायु प्रदूषण से बचाना है.
उसने एक बयान में कहा, ‘नए विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश (एक्यूजी) पहले की समझ के विपरीत निम्न सांद्रता पर भी मानव स्वास्थ्य को वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान पर स्पष्ट सबूत प्रस्तुत करते हैं.’ये दिशानिर्देश अहम वायु प्रदूषकों में कमी लाकर लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नए वायु गुणवत्ता स्तरों की सिफारिश करते हैं. ये प्रदूषक जलवायु परिवर्तन में भी भूमिका निभाते हैं.
डब्ल्यूएचओ ने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ के पिछले 2005 के सूचकांक के बाद ऐसे सबूत बहुत अधिक आए हैं, जो दर्शाते हैं कि कैसे वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं. उस कारण से तथा संकलित सबूतों की व्यवस्थित समीक्षा के बाद डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश के सभी स्तरों में नीचे की ओर फेरबदल किया एवं चेतावनी जारी की कि नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश स्तरों का संबंध स्वास्थ्य पर अहम जोखिमों से है.’
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि खराब वायु गुणवत्ता के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव पहले के अनुमान की तुलना में निचले स्तर पर अधिक पड़ते हैं और वह 15 वर्षों में पहली बार अपने वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को अद्यतन करते हुए नीति निर्माताओं और आम लोगों के लिए एक उच्च मानक स्थापित कर रहा है.
न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख विषय है.
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगलवार को घोषणा की थी कि चीन अब कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों का वित्तपोषण नहीं करेगा. ऐसे संयंत्रों में कई प्रदूषणकारी तत्व पैदा होते हैं जो दिशानिर्देशों में शामिल किए गए हैं.
डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अंतिम अद्यतन के बाद से बेहतर निगरानी और विज्ञान ने मानव स्वास्थ्य पर छह प्रमुख वायु प्रदूषकों के प्रभाव के बारे में वैश्विक तस्वीर को साफ कर दिया है.
एजेंसी के अनुसार, दुनिया के 90 प्रतिशत लोग पहले से ही कम से कम एक ऐसे हानिकारक प्रदूषक वाले क्षेत्रों में रहते हैं.
दिशानिर्देशों में संशोधन ग्लोबल वार्मिंग और जीवाश्म ईंधन के उपभोग के प्रभाव से संबंधित व्यापक चिंताओं से परे पर्यावरणीय चिंताओं के पहलू को भी उजागर किया गया है.
डब्ल्यूएचओ यूरोप कार्यक्रम प्रबंधक डोरोटा जारोसिंस्का ने कहा कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 70 लाख लोगों की अकाल मृत्यु होने और हर साल लाखों लोगों के स्वास्थ्य के प्रभावित होने का अनुमान है. इसके साथ ही वायु प्रदूषण को अब मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा माना गया है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अब वायु प्रदूषण की तुलना अस्वास्थ्यकर आहार और धूम्रपान जैसे अन्य वैश्विक स्वास्थ्य जोखिमों से की जा रही है.
अलज़जीरा के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के नए दिशानिर्देशों में ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सहित छह प्रदूषकों के लिए वायु गुणवत्ता के स्तर की सिफारिशें शामिल हैं.
अन्य दो पीएम-10 और पीएम 2.5 हैं- पार्टिकुलेट मैटर 10 और 2.5 माइक्रोन व्यास के बराबर या उससे छोटा.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दोनों फेफड़ों में गहराई से प्रवेश करने में सक्षम हैं, लेकिन शोध से पता चलता है कि पीएम 2.5 रक्त प्रवाह में भी प्रवेश कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मुख्य रूप से कार्डियोवैस्कुलर और श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं, लेकिन यह अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है.
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ने कहा, ‘वायु प्रदूषण सभी देशों में स्वास्थ्य के लिए खतरा है, लेकिन यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है.’