मोदीजी, अगर PM केयर्स फंड सरकारी नहीं तो उसमें सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटकर पैसे क्यों डाले गए? : लेखक

 


भारत में आई कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान देश के लोगों के लिए मोदी सरकार ने चंदा इकट्ठा करने के नाम पर पीएम केयर्स फंड की शुरुआत की थी। जिसमें देश और दुनिया की बड़ी हस्तियों ने खुलकर फंड दिया।


 

मोदी सरकार द्वारा कोरोना महामारी से बनी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए शुरू किए गए पीएम केयर्स फंड पर विपक्षी दलों द्वारा सवाल खड़े किए गए थे।

दरअसल सरकार ने इस फंड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है।इसी बीच खबर सामने आई है कि मोदी सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में पीएम केयर्स फंड को राज्य का फंड घोषित करने की मांग वाली याचिका के मामले में जवाब दाखिल किया है।


 जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री राहत कोष एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। इस ट्रस्ट को मिलने वाला पैसा सरकार का फंड बिल नहीं है। इसलिए ये आरटीआई के अंदर नहीं आ सकता है।

बताया जाता है कि दिल्ली हाईकोर्ट के वकील द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें यह मांग उठाई थी कि पीएम केयर्स फंड को राज्य के अधीन लाया जाए ताकि इसकी ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित हो पाए।

इस मामले में लेखक एवं स्तंभकार अशोक कुमार पांडेय ने लिखा- अगर पीएम केयर फंड सरकारी नहीं तो उसमें सरकारी कर्मचारियों की तनख़्वाह काटकर पैसे क्यों डाले गए?कैसे किसी निजी व्यक्ति को ‘प्रधानमंत्री’ शब्द के प्रयोग का अधिकार दिया गया?

आपको बता दें कि कांग्रेस इस मामले में कई बार मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर चुकी है।

कांग्रेस का कहना है कि पीएम केयर्स फंड में कोरोना महामारी के दौरान लगभग 40 से 50 हजार करोड रुपए आए वह कहां गए इस पैसे को गुप्त क्यों रखा जा रहा है?

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