नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायलाय में कानूनी जंग जीतने के बाद भारतीय सेना की 39 महिला अफसरों को स्थायी कमीशन मिल गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि सात कार्य दिवसों के अंदर इन महिला अफसरों को नई सेवा का दर्जा दिया जाए. बता दें कि स्थायी कमीशन का मतलब सेना में रिटायरमेंट तक करियर है, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन 10 वर्षों के लिए होता है. जिसमें अधिकारी के पास 10 साल के अंत में स्थायी कमीशन छोडऩे या चुनने का विकल्प होता है. यदि किसी अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं मिलता है तो अधिकारी चार साल का विस्तार चुन सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इससे संबंधित आदेश जल्द जारी किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने 25 अन्य महिला अफसरों को स्थायी कमीशन न देने के कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश भी दिया है. केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया 71 में से 39 को स्थायी कमीशन दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में एएसजी संजय जैन ने बताया 72 में से एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी, इसलिए सरकार ने 71 मामलों पर पुनर्विचार किया.
इन नामों में से 39 स्थायी कमीशन की पात्र पाई गई हैं. केंद्र ने कहा 71 में से 7 चिकित्सकीय रूप से अनुपयुक्त हैं, जबकि 25 के खिलाफ अनुशासनहीनता के गंभीर मामले हैं और उनकी ग्रेडिंग खराब है. कुल 71 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया था, सुप्रीम कोर्ट गई थीं. कोर्ट ने 1 अक्टूबर को सरकार से कहा था कि वह किसी भी अधिकारी को सेवा से मुक्त न करें.न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की दो-न्यायाधीशों की पीठ, जो भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं, मामले की सुनवाई कर रही थीं. महिला अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकीलों वी मोहना, हुजेफा अहमदी और मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया था कि महिला अफसरों को अयोग्य ठहराना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना को सभी महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया था. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को तीन महीने का समय दिया गया था.