निर्मला सीतारमण ने वर्ल्ड के टॉप सीईओ से की मुलाकात, कहा- भारत में सभी निवेशकों व उद्योग के हितधारकों के लिए हैं काफी अवसर

 


नई दिल्ली, : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को न्यूयॉर्क में वर्ल्ड के टॉप सीईओ के साथ मुलाकात की. इस दौरान भारत में हाल ही में शुरू हुए 100 लाख करोड़ रुपये के गति शक्ति मास्टर प्लान, डिजिटलीकरण और मेक इन इंडिया जैसी पहल पर चर्चा हुई. सीतारमण वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के बाद शुक्रवार की देर रात यहां पहुंचीं.

निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है, जिससे भारत में सभी निवेशकों तथा उद्योग के हितधारकों के लिए काफी अवसर हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुन: नियोजन तथा भारत के स्पष्ट रुख अपनाने वाले नेतृत्व की वजह से सभी निवेशकों तथा उद्योग के हितधारकों के लिए हमारे देश में काफी अवसर हैं. सीतारमण वाशिंगटन ने कहा कि भारत में स्टार्टअप कंपनियां काफी तेजी से बढ़ी हैं और अब इनमें से कई पूंजी बाजार से धन जुटा रही हैं. इस साल ही करीब 16 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुई हैं.

यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन से है. वित्त मंत्री ने कहा, ”भारत ने चुनौतीपूर्ण समय में भी डिजिटलीकरण का पूरा लाभ उठाया है.” वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ”वित्तीय समावेशन और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में की गईं पहल और प्रगति चर्चा का हिस्सा रहीं.”फेडेक्स कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) राज सुब्रमण्यम के साथ उनकी बैठक में हाल ही में शुरू की गई परियोजना, राष्ट्रीय अवसंरचना मास्टर प्लान गति शक्ति और भारत के तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और तेज गति से विकास कर रही स्टार्ट-अप कंपनियों पर चर्चा हुई.

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ”सिटीग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जेन फ्रेजर के साथ सीतारमण की बैठक में, ‘मेक इन इंडिया’ के प्रति बैंकिंग कंपनी की प्रतिबद्धता और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में डिजिटलीकरण पर चर्चा की गई.” बाद में सीतारमण ने आईबीएम के चेयरमैन और सीईओ अरविंद कृष्ण से भी मुलाकात की. उल्लेखनीय है कि 13 अक्टूबर को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए 100 लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय मास्टर प्लान लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को कम करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास करना है.

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