गड़बड़ा रहा बीजेपी का समीकरण गिरफ्तारी तय थी, जायेगी मंत्री की कुर्सी भी- प्रेम श्रीवास्तव

 

दो टूक
प्रेम श्रीवास्तव

गड़बड़ा रहा बीजेपी का समीकरण गिरफ्तारी तय थी, जायेगी मंत्री की कुर्सी भी

मोदी सरकार के दूसरे मंत्री, जिनका बेटा हत्या में गिरफ्तार

दिन भर चली जद्दोजहद के बाद आखिर मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के मामले में गिरफ्तार कर जेल भ्ोज दिया गया। अब यह भी तय है कि मंत्री की विदाई भी मंत्रिमंडल से होगी, भले ही इसमें कुछ समय लगे। क्योंकि 2०22 की परीक्षा बेहद करीब है और भाजपा आलाकमान उनकी कीमत अदा करने के मूड में बिल्कुल नहीं है। यह पहला मौका नहीं है जब मोदी मंत्रिमंडल के किसी मंत्री के बेटे को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इससे पहले केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के प्रबल पटेल को भी हत्या के आरोप में फरारी के बाद गिरफ्तार किया गया।

जितनी जद्दोजहद और कश्मकश पुलिस ने दिन भर तकरीबन 12 घंटे की पूछताछ के दौरान की। उतनी ही जद्दोजहद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में चली। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समेत तमाम आला नेताओं ने भी तमाम मुद्दों पर मंथन किया और आखिर में देर रात उसकी गिरफ्तारी का ऐलान हुआ। देश में यह पहला ऐसा मौका है जब किसी गृह राज्य मंत्री का बेटा सरकार होते हुए गिरफ्तार हुआ हो। हालांकि पहले भी किसी मंत्री के बेटे पर न ऐसे आरोप लगे न ही किसी ने ऐसी घटना को अंजाम दिया। अपने रणनीतिकारों के चलते भाजपा को ऐसी सूचना मिल गयी थी कि अगर आशीष की गिरफ्तारी नहीं हुई तो आगामी 2०22 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि भाजपा को करीब 42 सीटों पर तो सीध्ो नुकसान साफ दिखायी पड़ रहा था। वहीं इस मामले में जिस तरह से कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने मुद्दा बना लिया था, उससे निपट पाने में भाजपा सक्षम नहीं हो पा रही थी। जिस तरह से कांग्रेेस ने भारी-भरकम मुआवजे के बाद भी इसे लगातार मुद्दा बना रखा था और पूरा विपक्ष लगातार मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी और मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा था, उससे साफ है कि यह मुद्दा थमने वाला नहीं है। आशीष के बहाने किसानों ने यूपी का रुख कर लिया है। पिछले 1० महीने से चल रहे किसान आंदोलन के बीच लखीमपुर खीरी कांड ने सूबे की योगी सरकार के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी है। जहां प्रदेश सरकार अपनी उपलब्धियों के बल पर इस चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही थी, ठीक चुनाव से कुछ महीने पहले इस कांड ने भाजपा को नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करने के लिए मजूबर कर दिया है। दरअसल लखीमपुर खीरी प्रदेश की सियासत का नया अखाड़ा बन गया है जहां हर सियासी पार्टी किसान आंदोलन के जरिए अपनी रणनीति को धार देने में लग गई है। ऐसे में क्या अगले चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लखीमपुर खीरी की घटना योगी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। किसान आंदोलन को लेकर पहले से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की भाजपा के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही थी। माना जा रहा है कि इस घटना के बाद से भाजपा के लिए मुश्किल और बढ़ गई है। चार महीने बाद प्रदेश में चुनाव होने है, एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर चुनाव में उतरने की तैयारी में लगे हैं। दूसरी तरफ इस घटना के लिए कथित तौर पर सीधे-सीधे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू मिश्रा को जिम्मेदार ठहराने से भाजपा विपक्ष के निशाने पर आ गई है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की घटनाओं से कोई भी सत्ता में रहते हुए बचना चाहती है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी का सीधे तौर पर नाम आ रहा है।  ऐसे में इस घटना से भाजपा का पूरा सियासी गणित गड़बड़ होेगा, यह तय है । कहा जा रहा है कि महज यूपी ही नहीं बल्कि उत्तराखंड और पंजाब विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है। यह मामला केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है। यह मसला केंद्रीय नेतृत्व का  है। पिछले 1० महीने से किसान आंदोलन चल रहा है, लेकिन सरकार इस आंदोलन को लेकर दंभ भरा व्यवहार कर रही है। जिस कृषि कानून को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं वह सामान्य प्रक्रिया से नहीं बना। बल्कि इसे तुरत-फुरत में बनाया गया है। इससे किसानों में नाराजगी होगी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले में जिस तरह का अड़ियल रवैया अपनाया हुआ है इससे किसानों में जबरदस्त रोष है और यह बढ़ता ही जा रहा है। जिसका नुकसान भाजपा को चुनावों में उठाना पड़ सकता है। उसके बाद लखीमपुर खीरी की घटना का होना अब पूरे प्रदेश में आंदोलन को फैलाने और भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। कहा जा रहा है कि लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा के किसानों में भी नाराजगी देखी जा रही है और बड़ी संख्या में किसान पंजाब और हरियाणा से लखीमपुर खीरी पहुंचने की कोशिश में है। वहीं कुछ किसान नेताओं ने चुनाव तक यूपी में ही डेरा डालने का मन बना लिया है। यह कहना मुश्किल है कि लखीमपुर खीरी की घटना से भाजपा को कितना नुकसान होगा और विपक्षी पार्टियों को कितना फायदा होगा। क्योंकि इस घटना के बाद भाजपा भी अपनी रणनीति बनाएगी और दूसरी तरफ देखें तो विपक्ष एकजुट नहीं है। यह भी देखना होगा कि किसानों का भाजपा विरोधी जो रूख है उसको वे वोट में कितना तब्दील कर सकेंगे। लखीमपुर खीरी कांड के बाद किसानों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार हमलावर हैं। सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से इस पूरे मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे का नाम सामने आ रहा है और लगातार गृह राज्य मंत्री के इस्तीफ़े की मांग हो रही है, ऐसे में हो सकता है केंद्रीय नेतृत्व अजय मिश्रा को इस्तीफा देने को कह सकती है। जिससे चुनाव के समय लखीमपुर कांड की गूंज को कुछ हद तक कम किया जा सके। भाजपा को इस हिसा के चलते लखीमपुर खीरी से सटे पीलीभीत, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर और बहराइच में भी इस कांड का असर देखने को मिल सकता है। इन सभी जिलों में भाजपा ने 2०17 के चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया था। इन 6 जिलों की 42 में से 37 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली सपा को महज 4 सीटें ही मिल पाई थीं। बीएसपी को एक सीट मिली थी और कांग्रेस की झोली खाली ही रह गई थी। भाजपा को डर है कि बीते चुनाव की कामयाबी इस कांड के चलते शायद वह न दोहरा पाए। यहां बढ़त हासिल करने वाली पार्टियां अकसर सत्ता की राह पकड़ती रही हैं। 2०12 में यहां से सपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की थी और सत्ता भी पाई थी। इसके बाद 2०17 में भी यही ट्रेंड देखने को मिला था।

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