उपहार अग्निकांड केस में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपियों को सात साल का कारावास व जुर्माना

 


नई दिल्ली : दिल्ली की अदालत ने उपहार अग्निकांड केस में सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में सुशील और गोपाल अंसल को सात साल कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने दोनों पर 2.25 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. सुनील अंसल और गोपाल अंसल समेत अन्य दो दोषियों को पहले ही आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक उल्लंघन), 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अंसल भाइयों समेत सभी आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई है.

बता दें कि ये केस उपहार सिनेमा अग्निकांड से जुड़े मुख्य मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ से जुड़ा हुआ है. उपहार सिनेमाघर में आग लगने से 59 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया गया था. जिस पर अब पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी दोषियों को सात साल की सजा सुनाई है.पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि सुशील अंसल और गोपाल अंसल ने कानून के शासन की महिमा को कमजोर किया है. उन्होंने न केवल दिल्ली की न्यायपालिका की संस्थागत अखंडता को क्षीण कर दिया बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन पर भी गंभीर रूप से चोट पहुंचाई है. ऐसे दोषियों के सुधार की संभावना नहीं है. दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिलनी चाचाहि


पटियाला हाउस अदालत के मुख्य महानगर दंडाधिकारी पंकज शर्मा के समक्ष उन्होंने कहा सुशील अंसल और गोपाल अंसल नाम के दोषियों से सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती. वे मुख्य मामले में भी दोषी ठहराए गए हैं और उनके खिलाफ कई अन्य आपराधिक मामले विचाराधीन हैं.

इस मामले ने एक धारणा बनाई है कि अमीर और ताकतवर लोग किसी भी चीज से बच सकते हैं और वे न्यायिक व्यवस्था को अपने पक्ष में कर सकते हैं. अदालत के सम्मान के लिए इस धारणा को भी तोड़ना होगा. न्यायालय ऐसे गंभीर अपराध पर आंखें मूंद नहीं सकती. वहीं अंसल बंधुओं के अधिवक्ता ने दया की अपील करते हुए कहा उनकी आयु 80 वर्ष से ज्यादा है और वे परिवार में कमाने वाले एक मात्र सदस्य हैं. उनकी दोनों बेटियां अलग रहती हैं. इसके अलावा पत्नी की देखभाल करनी है. उसने दो हजार लोगों को रोजगार दिया है.उन्होंने कहा पीड़ितों को 30 करोड़ रुपये मुआवजा दिया है. उनके इस तर्क पर पीड़ित एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा वे अभी अदालत को गुमराह कर रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने दोषियों पर यह राशि जुर्माने के रूप में लगाई थी. अदालत ने मामले की सुनवाई 30 अक्तूबर तय की है.

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