किसान आंदोलन को दुनिया कर रही सलाम!

 


एक साल पूरा होने पर किसानों ने की देश भर में जोरदार कार्यक्रम की तैयारी


लखनऊ,  आजादी के बाद अब तक का सबसे बड़ा और सफलतम आंदोलनों में शामिल किसान आंदोलन को आगामी 26 तारीख को एक साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके को यादगार बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे ने जोरदार तैयारी की है. इसके अलावा दुनिया के कई देशों में भी इस आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन की तैयारी है.

देश में बीते एक साल से ओदांलनरत किसानों के जज्बे को अब दुनिया के कई देशों के किसान संगठनों का साथ मिल रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय किसान संगठनों द्वारा दुनिया भर में एकजुटता कार्यक्रमों की योजना बनाई जा रही है. आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर 26 नवंबर को लंदन में भारतीय उच्चायोग पर दोपहर 12 से 2 बजे के बीच विरोध प्रदर्शन होगा। उसी दिन (26-27 की रात) कनाडा के सरे में स्लीप-आउट के अलावा वैंकूवर में स्लीप-आउट होगा. 30 नवंबर को फ्रांस के पेरिस में विरोध प्रदर्शन होगा.

4 दिसंबर को कैलिफोर्निया में एक कार रैली का आयोजन किया जा रहा है और अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक सिटी मार्च का आयोजन किया जा रहा है। उस दिन सैन जोस गुरुद्वारा में स्मरणोत्सव और मोमबत्ती जलूस भी होगा. 5 दिसंबर को नीदरलैंड में एक कार्यक्रम और 8 दिसंबर को ऑस्ट्रिया के वियाना में एक कार्यक्रम की योजना बनाई गई है. कार्यक्रम ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ अन्य स्थानों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में वाशिंगटन और टेक्सास में भी होंगे.उधर 26 नवंबर को देश के लाखों किसानों के लगातार संघर्ष के 12 महीने पूरे होने के रूप में देशभर में बड़े कार्यक्रमों की जोरदार तैयारी चल रही है. उस दिन हजारों किसानों के दिल्ली के आसपास के मोर्चा स्थलों पर पहुंचने की संभावना है. दिल्ली से दूर राज्यों की राजधानियों में ट्रैक्टर रैलियों के अलावा अन्य विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया जाएगा. केन्द्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने पर यह दिन आंदोलन की आंशिक जीत के रुप में मनाया जाएगा और शेष मांगों पर कार्यक्रमों में जोर दिया जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान आंदोलन के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. संयुक्त किसान मोर्चा की ने इस बात पर भी चिंता जतायी है कि कुछ लोग किसानों को बांटने का प्रयास कर रहे हैं और उन्हें भाजपा और अन्य द्वारा मजदूर वर्ग के खिलाफ भी खड़ा किया जा रहा है. हालांकि, विरोध कर रहे किसान जानते हैं कि वे एकजुट हैं और उनकी ताकत बड़ रही है. एसकेएम की लड़ाई, जब उसने 3 काले कानूनों को निरस्त करने, और बिजली संशोधन विधेयक के मसौदे को वापस लेने के कहा था, आम नागरिकों को ध्यान में रखते हुए और खाद्य कीमतों को सस्ती बनाने, पीडीएस प्रणाली को संरक्षित करने आदि के लिए था.

किसानों ने भी पिछले एक साल में श्रमिकों के साथ एकजुट लड़ाई लड़ी है, और केंद्र सरकार द्वारा थोपी गई चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने और निजीकरण के खिलाफ केंद्रीय श्रम संगठनों की मांग का समर्थन किया है. विरोध कर रहे किसान ईंधन की कीमतों को आधा करने और आम नागरिक के लिए सस्ती दर पर उपलब्ध कराने की मांग भी कर रहे हैं. किसानों को दूसरे मजदूरों के खिलाफ खड़ा करने की शरारती कोशिशें नाकाम होना तय हैं. बुधवार को सर छोटू राम की जयंती किसान मजदूर संघर्ष दिवस के रूप में मनाई जाएगी.

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