वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया और कहा कि झूठी माफी और कानून वापस लेने जैसे चुनावी कदम भी मोदी जी की किसान विरोधी सोच को ढक नहीं सकते। वे रक्षक के पद पर हैं, लेकिन भक्षक के साथ खड़े हैं। लखीमपुर खीरी नरसंहार मामले की चार्जशीट में भी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे ही किसानों को कुचलने की घटना के मुख्य आरोपी हैं। लेकिन सरंक्षण के चलते मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर जांच की आंच तक नहीं आई और वे अपने पद पर बने हुए हैं।
चार्जशीट में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र के साथ ही उनके साले वीरेंद्र शुक्ला का भी नाम जोड़ा गया है. शुक्ला ब्लॉक प्रमुख है. जिस पर पुलिस को झूठी सूचना देने का आरोप है. घटना के दिन काफिले में वीरेंद्र शुक्ल की स्कॉर्पियो गाड़ी थी। जोकि संपूर्णानगर से पुलिस ने बरामद की थी. उधर, आशीष मिश्र के वकील अवधेश सिंह ने बताया कि आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है लेकिन अभी उन्हें कॉपी नहीं मिली है.
तिकुनिया कांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र मोनू समेत 13 आरोपी जिला कारागार में बंद हैं. आशीष मिश्र की गिरफ्तारी भले ही 10 अक्तूबर को हुई थी, मगर उससे पहले सात अक्तूबर को आशीष मिश्र के करीबी लवकुश और आशीष पांडेय को गिरफ्तार कर लिया गया था. दोनों को आठ अक्तूबर को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया था.कानून के जानकारों के मुताबिक हत्या जैसे जघन्य मामले में विवेचक को न्यायिक अभिरक्षा के पहले दिन से से 90 दिनों के भीतर जांच मुकम्मल कर चार्जशीट दाखिल करने की बाध्यता होती है. देश की राजनीति की दशा और दिशा को प्रभावित करने वाले तिकुनिया कांड पर लोगों के साथ ही राजनीतिक पंडितों की भी नजर है. इसकी वजह केंद्रीय मंत्री के बेटे का इस मामले में आरोपी होना है. मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से मीडिया की सुर्खियों में रहा है.