राज्य में कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है और राज्य में भी व्यवसायिक गतिविधियों को सीमित कर दिया गया है. वहीं राज्य सरकार ने निजी स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी पर रोक लगा दी है. राज्य की अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से शैक्षणिक सत्र 2022-23 में भी निजी माध्यमिक स्कूलों द्वारा फीस नहीं बढ़ाने का आदेश जारी किया गया है. विभाग का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण शैक्षणिक सत्र 2020-21 और 2021-22 में फीस नहीं बढ़ाई गई और अब तीसरे साल भी निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकेंगे. राज्य सरकार का ये फैसला यूपी बोर्ड, सीबीबीएसई और सीआईएससीई समेत सभी बोर्ड के निजी स्कूलों पर लागू होगा.
वहीं विभाग का कहना है कि कोरोना काल में अगर कोई भी निजी स्कूल फीस बढ़ाता है तो अभिभावक और छात्र यूपी स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (फीस निर्धारण) अधिनियम 2018 की धारा-आठ (ए) के तहत उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके लिए विभाग ने जिला शुल्क निर्धारण नियामक समिति का गठन किया है और वह यहां पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. विभाग का कहना है कि सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी निजी स्कूल फीसदी ना बढ़ा सके.
राज्य सरकार का ये फैसला राज्य के सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा. वहीं निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक और वहां के स्टॉफ की पिछले दो साल में कोई वेतन बढ़ोत्तरी नहीं हुई है और अब तीसरे साल के लिए सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं. जिसको लेकर निजी स्कूलों के टीचर्स में नाराजगी है. उनका कहना है कि राज्य सरकार सरकारी स्कूलों के शिक्षक और स्टॉफ का वेतन बढ़ा रही है और उन्हें महंगाई भत्ता भी लगातार दिया जा रहा है. यहां तक कि कोरोना काल में रोका गया महंगाई भत्ता सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और राज्य सरकार के कर्मचारियों को दिया गया है. लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षकों की पिछले दो साल से वेतन वृद्धि नहीं हुई है. बल्कि उनके वेतन में कटौती स्कूल प्रबंधन ने की है.