इस साल आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। अक्टूबर महीने की इस चतुर्थी को वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। इस चतुर्थी का व्रत संतान की लंबी उम्र व अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है। वक्रतुण्ड चतुर्थी के दिन गणेश भगवान और चंद्र देव की पूजा-उपासना की जाएगी। आइए जानते हैं वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र, चंद्र दर्शन समय-
वक्रतुण्ड चतुर्थी शुभ-मुहूर्तचतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2024 को सुबह 06:46 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2024 को सुबह 04:16 बजे
चन्द्रोदय टाइम - शाम 7:54 बजे
वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं
4- वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
चांद निकलने का टाइम
दृक पंचांग के अनुसार, 21 अक्टूबर को रात 07 बजकर 54 मिनट पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है।
नोट: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।