अयोध्या विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता अपनाया है।
इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सचिव उमरैन रहमानी ने कहा कि यह एक टाइटल सूट है, न कि विश्वास से जुड़ा मसला। हम माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के फैसले का स्वागत करते हैं। बाबरी मस्जिद पर हमारा मत बदलने वाला नहीं है।
मैत्रीपूर्ण तरीके से मसले को सुलझाने की पूरी कोशिश करेंगे
पैनल के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस एफएम कलीफुल्ला ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने मेरी अगुआई में एक मध्यस्थ समिति का गठन किया है। मुझे अभी ऑर्डर की कॉपी नहीं मिली है। मैं यही कह सकता हूं कि अगर समिति गठित की गई है तो हम इस मसले को मैत्रीपूर्ण तरीके से सुलझाने की हरसंभव कोशिश करेंगे।फैसले पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए श्री श्री ने कहा कि सदियों से जारी संघर्ष को समाप्त करना ही हम सबका लक्ष्य होना चाहिए। आपको बता दें कि श्री श्री के अलावा पैनल में जस्टिस एफएम कलीफुल्ला और श्रीराम पांचू शामिल हैं। श्री श्री रविशंकर ने ट्वीट कर कहा, सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना- इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।
अहंकारों और स्वार्थों को अलग रखकर आगे बढ़ें
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी रविशंकर ने कहा था कि हमें अपने अहंकार और मतभेदों को अलग रखकर इस विषय से संबंधित सभी दलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सबको साथ लेकर आगे बढऩा चाहिए।उस समय आध्यात्मिक गुरु ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता को प्राथमिकता देना देश के और इस विषय से संबंधित सभी दलों के हित में है। इस विवाद को मैत्रीपूर्ण रूप से सुलझाने का हमें पूरा प्रयास करना चाहिए।