UP: किडनी को नुकसान पहुंच सकता है मिलावट, रोकथाम के लिए में 24 से 30 जून तक अभियान

लखनऊः, आम जनमानस को सुरक्षित खाद्य, पेय पदार्थ उपलब्ध कराने के परिपेक्ष्य में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा 24 जून से 30 जून 2019 के मध्य मौसम के दृष्टिगत उपयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम हेतु प्रदेश में विशेष अभियान चलाये जाने का निर्णय लिया गया है ।


डॉ अनिता भटनागर जैन, अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि उक्त अवधि में प्रदेश के प्रत्येक जनपद में आइसक्रीम, कुल्फी फालूदा, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर, दूध एवं दुग्ध पदार्थ व स्थानीय व अन्य शीतल पेय में मिलावट की रोकथाम हेतु एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अंतर्गत जो नमूने संग्रहित किए जाएंगे उन नमूनों को विशेष वाहक द्वारा गुप्त रूप से आवंटित प्रयोगशालाओं को प्रेषित किया जाएगा और एक निर्धारित समय अवधि में इनका विश्लेषण किया जाएगा ।


सभी जनपदों के अभिहित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि संग्रहीत नमूनों को सर्विलेंस के आधार पर संग्रहीत करें, जिससे कि मानक के अनुरूप नहीं पाए जाने वाले नमूनों का प्रतिशत कम से कम 70 प्रतिशत हो और यह अभियान सफल हो सके ।


इस अभियान के तहत दैनिक रूप से प्रत्येक जनपद में किए गए खाद्य पदार्थों का निरीक्षण, प्रतिष्ठानों के निरीक्षण की संख्या, संग्रहित नमूनों की संख्या, जब्त खाद्य पदार्थ की मात्रा व अनुमानित मूल्य, नष्ट कराए गए खाद्य पदार्थ की मात्रा व नष्ट कराए गए खाद्य पदार्थो के अनुमानित मूल्य की समीक्षा शासन स्तर पर की जायेगी।


इन खाद्य पदार्थों का विश्लेषण अनेक पैरामीटर्स के सापेक्ष किया जायेगा। इन पैरामीटर्स में कुछ ऐसे होते हैं जो कि मानक के अन्तर्गत होने चाहिए और कुछ पूर्णतया प्रतिबंधित यानि अनसेफ हैं और उनसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां भी हो जाती हैं जैसे कि टाइटेनियम डी ऑक्साइड- जिससे कि स्टोन बन सकते हैं। यूरिया- जिसके कारण यूरिक एसिड में बढ़ोतरी हो सकती है और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। कार्बोनेट और न्यूट्री लाइजर- जिससे गैस्ट्रिक की समस्या हो सकती है। डिटर्जेंट- जिससे गैस्ट्रिक समस्या और इंटेस्टाइन के अल्सर आदि बीमारियों की संभावना हो सकती है। इसके अतिरिक्त डिटर्जेंट में पाए जाने वाले डायोक्सीन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी एवं अमोनियम सल्फेट की उपस्थिति से हृदय रोग की संभावना हो सकती है। सेडिमेंट्स और सस्पेंडेड मैटर- जिसकी वजह से पूर्णतया डिजॉल्व सॉलिड की मात्रा में बढ़ोतरी हो जाती है। सैक्रीन से गले की समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त अनेक अन्य पैरामीटर्स पर भी विश्लेषण किया जाएगा।


अधिनियम के तहत पूर्णतया प्रतिबंधित और अनसेफ पैरामीटर पाए जाने पर ₹10,00,000 तक का जुर्माना और कारावास दोनों या एक सजा मिल सकती है। इसके साथ ही साथ अधोमानक पाए जाने पर जो जुर्माना है वह 10,000,00 रुपए तक का है।


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