अयोध्या विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कभी भी आ सकता है। हालांकि इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दावा किया है कि अयोध्या में किसी भी हिंदू मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का ढांचा नहीं खड़ा किया गया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का यह भी कहना है कि उसका यह दावा एतिहासिक तथ्य पर आधारित है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बुधवार को कहा कि एतिहासिक तथ्यों के आधार पर मुस्लिम पक्ष यह दावा करता है कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण किसी हिंदू मंदिर को गिराए बिना किया गया था। हालांकि हम अपने रुख को दोहराते हैं कि कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा, हम उसे स्वीकार करेंगे। इसके साथ ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुसलमानों और अन्य नागरिकों से कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील भी की है।
बता दें कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मंगलवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर एक बैठक हो चुकी है। इसमें मुस्लिम धर्मगुरु और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता मौजूद थे। बैठक में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन और फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली भी पहुंचे थे।