मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में सप्ताहव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया है। इस अभियान को कोरोना संकट से निपटने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद धनराशि से मदद करने, गांवों में मनरेगा का दायरा बढ़ाने और शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, बेरोजगारों को भत्ता देने और आम जनता के मौलिक अधिकारों की गारंटी करने जैसे मुद्दों पर केंद्रित किया जाएगा।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते मोदी सरकार कोरोना महामारी पर काबू पाने में विफल रही है। इसके ऊपर से देश पर जो अनियोजित और अविचारपूर्ण लॉक डाउन थोपा गया, उसके कारण लोगों की आजीविका नष्ट हो गई और देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है कि हमारे देश के जरूरतमंद लोगों को हर माह 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाये, आयकर दायरे के बाहर के सभी परिवारों को हर माह 7500 रुपयों की नगद मदद दी जाए और मनरेगा का विस्तार कर सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही शहरों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना बनाई जाए और बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाये।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में सप्ताहव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया है। इस अभियान को कोरोना संकट से निपटने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद धनराशि से मदद करने, गांवों में मनरेगा का दायरा बढ़ाने और शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, बेरोजगारों को भत्ता देने और आम जनता के मौलिक अधिकारों की गारंटी करने जैसे मुद्दों पर केंद्रित किया जाएगा।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते मोदी सरकार कोरोना महामारी पर काबू पाने में विफल रही है। इसके ऊपर से देश पर जो अनियोजित और अविचारपूर्ण लॉक डाउन थोपा गया, उसके कारण लोगों की आजीविका नष्ट हो गई और देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है कि हमारे देश के जरूरतमंद लोगों को हर माह 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाये, आयकर दायरे के बाहर के सभी परिवारों को हर माह 7500 रुपयों की नगद मदद दी जाए और मनरेगा का विस्तार कर सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही शहरों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना बनाई जाए और बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाये।