सीवीसी की एक हालिया रिपोर्ट हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई के पास भ्रष्टाचार से संबंधित 6,226 मामलों की सुनवाई लंबित है और इनमें से 182 मामलों की सुनवाई तो 20 साल से भी अधिक समय से लंबित है.
नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा कि 31 दिसंबर 2019 तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कुल 678 मामलों की जांच की जा रही थी, जिनमें 25 मामले ऐसे हैं, जिनकी जांच पांच वर्षों से भी अधिक समय से चल रही है.
आमतौर पर सीबीआई किसी मामले जांच पूरी करने में एक साल का समय लेती है.
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मामले की जांच पूरी होने का तात्पर्य संबंधित प्राधिकार से मंजूरी मिलने के बाद अदालतों में आरोप पत्र दाखिल करने से होता है. आयोग ने पाया है कि कुछ मामलों की जांच पूरी होने में कुछ विलंब हुआ है.’
सीवीसी की यह रिपोर्ट हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश की गई और यह रिपोर्ट रविवार को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई.
इस रिपोर्ट में सीवीसी ने कहा कि सीबीआई के पास जांच के लिए लंबित इन 678 मामलों में से 268 मामलों में जांच एक साल से कम समय से लंबित हैं तो 177 मामलों की जांच दो साल से अधिक समय से लंबित है. इसके अलावा 86 मामलों की जांच तीन साल से अधिक समय और 25 मामलों की जांच पांच साल से अधिक समय से लंबित है.
भ्रष्टाचार के मामलों की सीबीआई जांच की निगरानी करने वाली संस्था सीवीसी ने कहा कि जांच में विलंब के कारणों में इस जांच एजेंसी के पास मानव संसाधन का अभाव और कुछ संबंधित प्राधिकारों से अभियोजन के जिए मंजूरी मिलने में देरी शामिल है.
आयोग ने इस बात पर चिंता जताई कि विभिन्न अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित मामलों के निस्तारण में धीमी प्रगति हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार से संबंधित 6,226 मामलों की सुनवाई लंबित है और इनमें से 182 मामलों की सुनवाई तो 20 साल से भी अधिक समय से लंबित है.
रिपोर्ट के अनुसार, कुल 6,226 मामलों में से 1,599 मामले 10 साल से अधिक लेकिन 20 साल से कम अवधि, 1,883 मामले पांच साल से अधिक और 10 साल से कम अवधि से लंबित हैं. इसके अलावा 1,177 मामले तीन साल अधिक लेकिन पांच साल के बीच की अवधि से लंबित हैं. 1,385 मामले तीन साल से कम समय से लंबित हैं.
सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में इस तरह की अनौपचारिक देरी कुशल सतर्कता प्रशासन के उद्देश्यों को पराजित करती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में बाधा बनती है. आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि भ्रष्टाचार से प्रभावी रूप से निपटने के लिए मुकदमे/अपील/संशोधनों के तहत भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के मामलों के निपटान को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर 2019 तक भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अपील और संशोधन के 11,380 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं. इनमें से 338 मामले सुप्रीम कोर्ट में, 11,031 मामले हाईकोर्ट, आठ मामले सत्र न्यायालय और तीन मामले अतिरिक्त सत्र न्यायालय में लंबित हैं.
अपील और संशोधनों के इन 11,380 मामलों में से 151 मामले 20 साल से अधिक समय से लंबित हैं. 377 मामले 15 साल से अधिक लेकिन 20 साल से कम समय, 1,485 मामले 10 साल से अधिक लेकिन 15 साल से कम समय, 3,231 मामले पांच साल से अधिक लेकिन 10 साल से कम समय, 2,540 मामले दो साल अधिक लेकिन पांच साल से कम समय और 3,596 मामले दो साल से कम समय से लंबित हैं.
सीवीसी की ओर से कहा गया है कि सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के 74 मामले विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं.
आयोग की ओर से कहा गया है कि वह नियमित रूप से सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ लंबित मामलों की समीक्षा करता है. सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ लंबित मामले देश की प्रमुख जांच एजेंसी की प्रतिष्ठा और छवि को दर्शाती है.
सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 दिसंबर 2019 तक इन 74 मामलों में से सीबीआई के समूह ए स्तर के अधिकारियों के खिलाफ 47 मामले, समूह बी और सी के अधिकारियों के खिलाफ 27 मामले विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं.